भारतीय शेयर बाजारों ने मार्जिन ट्रेडिंग फेसिलिटी (एमटीएफ) को लेकर मीडिया में चल रही खबरों को गलत बताया है। इन खबरों में कहा गया था कि कथित रूप से एक नियामकीय सर्कुलर जारी कर 1010 स्टॉक को एमटीएफ सूची से बाहर कर दिया है। यह निर्देश नवंबर 2024 से लागू बताया जा रहा था।
देश के प्रमुख शेयर बाजार बीएसई और एनएसई ने गुरुवार (21 नवंबर) को एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर इन दावों को गलत बताया। साथ ही दोनों एक्सचेंज ने साफ किया कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया है और न ही एमटीएफ के लिए उपयुक्त प्रतिभूतियों की सूची में बड़े पैमाने पर कोई बदलाव किया है।
मौजूदा नियामकीय ढाँचे के अंतर्गत एमटीएम ट्रेडिंग सदस्यों द्वारा अपने ग्राहकों को स्टॉक और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में उपलब्ध कराया जाता है, जो क्लियरिंग कॉर्पोरेशन द्वारा जारी प्रतिभूतियों की समूह एक की सूची का हिस्सा है। इस समूह की प्रतिभूतियों की गणना सूची प्रभाव लागत के वस्तुनिष्ठ मानदंडों के आधार पर की जारी है और इसे प्रति माह अपडेट कर एक्सचेंजों की वेबसाइटों पर प्रकाशित किया जाता है। इसके अनुसार, वर्तमान में लगभग 2,000 प्रतिभूतियाँ समूह I का हिस्सा हैं।
लेख में किये गये दावों के विपरीत एमटीएफ के लिए उपयुक्त प्रतिभूतियों की संख्या में कोई कटौती नहीं की गयी है। इसके अलावा, क्लियरिंग कॉर्पोरेशन द्वारा संपार्श्विकों (कोलेट्रल्स) की स्वीकृति जोखिम प्रबंधन, समाशोधन और निप्टान की क्षमता का प्रबंधन करने के लिए जोखिम आधारित वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण पर आधारित है। स्वीकृत संपार्श्विकों की सूची को आवधिक आधार पर अपडेट करते समय किसी विशेष स्क्रिप के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता है।
ध्यान देने वाली बात ये है कि अक्टूबर 2024 में एमटीएफ के अंतर्गत उधार बढ़कर 80,500 करोड़ रुपये से अधिक के सर्वकालिक रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँच गया।
यह प्रेस विज्ञप्ति कथित रिपोर्ट पर स्पष्टिकरण और सुधार करने के लिए एनएसई और बीएसई दोनों एक्सचेंजों द्वारा जारी की गयी है।
(शेयर मंथन, 22 नवंबर 2024)
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