व्यापार जगत की धारणा सकारात्मक हो चुकी है। लेकिन जब विकास दर में तेजी आनी शुरू हो जायेगी और कंपनियों की लाभदायकता में सुधार नजर आने लगेगा तो बाजार का मूल्यांकन फिर से बढ़ेगा।
स्थिर सरकार का बनना, निर्णयों में तेजी, प्रशासन में सुधार और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने के लिए कर कानूनों में ढील प्रमुख सकारात्मक पहलू होंगे। साथ ही रक्षा, रेलवे और सड़कों में निवेश का भी फायदा होगा। आर्थिक कमजोरी और कॉर्पोरेट तनाव का दौर पूरा होकर अब फिर से स्थिति बेहतर होगी, जिससे व्यापारिक धारणा सुधरती जायेगी। लेकिन कमजोर मानसून और कच्चे तेल की ऊँची कीमतें निकट भविष्य के लिए प्रमुख जोखिम के पहलू हैं। सब्सिडी पर काबू पाना और सरकार घाटे को 4' से कम रखना बड़ी चुनौती है। साथ ही उपभोक्ता महँगाई दर (सीपीआई) को स्वीकार्य सीमा के अंदर रखना होगा और वितरण को चुस्त बनाना होगा। बुनियादी ढाँचे को वित्त मुहैया कराने के लिए संसाधनों का प्रबंधन करना होगा। विकास दर में तेजी लाना जरूरी है। कॉर्पोरेट ऋणों का प्रबंधन और उनकी बैलेंस शीट की गुणवत्ता में सुधार को लेकर चिंता है। कमजोर मानसून और इराक में अशांति से कच्चे तेल की कीमतों का ऊपर जाना छोटी अवधि की चिंताएँ हैं। के. के. मित्तल, बाजार विश्लेषक, कैटमरैन (K K Mittal, Market Analyst)
(शेयर मंथन, 08 जुलाई 2014)
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