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क्रिप्टो स्कैम में ईडी ने इन पेमेंट गेटवे कंपनियों पर की कार्रवाई, 500 करोड़ रुपये किये फ्रीज

प्रवर्तन निदेशालय ने 2,200 करोड़ रुपये के क्रिप्टो करेंसी घोटाले में बड़ा एक्शन लिया है और 8 पेमेंट गेटवे कंपनियों के खिलाफ जाँच शुरू कर 500 करोड़ रुपये की रकम फ्रीज भी कर दी है। जाँच में पता चला है कि इस घोटाले के तार देशों के 20 राज्यों तक फैले हैं और 10 चीनी नागरिक इससे जुड़े हुए थे। 

क्या है क्रिप्टो करेंसी घोटाला?

ये मामला 2022 का है। एचपीजेड टोकन का जाल पूरे देश में फैला हुआ था। लोगों को एचपीजेड टोकन ऐप के जरिये बिट कॉइन समेत दूसरे क्रिप्टो करेंसी में माइनिंग के लुभावने ऑफर देने के साथ ही करोड़ों कमाने के सपने दिखाये जा रहे थे। लोग पेमेंट गेटवे के जरिये भुगतान करते और इन पैसों को देश से बाहर भेज दिया जाता। बड़ी बात ये थी कि इस घोटाले का जाल देश के 20 राज्यों में फैला हुआ था। और इसमें 10 चीनी नागरिक जुड़े थे जो बाहर से बैठकर ये गोरखधंधा देश में चला रहे थे।

कैसे किया गया घोटाला?

आरोपियों ने देशभर के 20 राज्यों से 2,200 करोड़ रुपये जुटाये और इसे देश से बाहर भेज दिया। इस रकम का एक हिस्सा लाभार्थियों तक भी पहुँचाया गया। इसके लिए बी पेमेंट गेटवे का इस्तेमाल किया गया। पेमेंट गेटवे इस रकम को एक-दो दिन होल्ड करके रखते थे और फिर उसे ट्रांसफर कर दिया जाता था। प्रवर्तन निदेशालय ने इसी को पकड़ा और 500 रुपये फ्रीज कर दिये।

प्रवर्तन निदेशालय की जाँच

प्रवर्तन निदेशालय ने जब मामले की गहराई से जाँच की तो कई गड़बड़ियाँ सामने आयीं। ईडी ने फंड फ्लो को ट्रैक किया तो पाया कि इस घोटाले के तार देश के 20 राज्यों तक फैले हैं और घोटाले का शिकार लोगों की संख्या लाखों में है। ईडी अब ये देख रही है पैसा कैसे-कैसे आगे गया और पेमेंट गेटवे ने संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट यानी एसटीआर तैयार की या नहीं। अगर की है तो क्या उसे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) को दिया या नहीं, जिससे ये एजेंसियाँ सतर्क हो कर अपने-अपने स्तर पर मामले को देख सकें। दरअसल, वित्तीय संस्थाओं के लिए एसटीआर तैयार कर आरबीआई को देना जरूरी है क्योंकि फिर आरबीआई इसे आगे एफआईयू को भेजता है ताकी जाँच एजेंसियाँ आगे जाँच कर सकें। ईडी ने अपनी जाँच में पाया कि इस गोरखधंधे को अपने अंजाम तक पहुँचाने के लिए अपराधियों ने सबसे पहले फर्जी कंपनियों का एक नेटवर्क बनाया। साथ ही फंड को जमा करने के लिए 200 से ज्यादा बैंक खातों का इस्तेमाल किया। दिल्ली में 50 से ज्यादा कंपनियाँ इस घोटाले से जुड़ी हैं, जिनके 84 बैंक खाते हैं। कर्नाटक में 37 बैंक खाते और 26 कंपनियाँ, हरियाणा में 19 कंपनियाँ, और उत्तर प्रदेश में 11 कंपनियाँ पंजीकृत हैं। इसके अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल समेत दूसरे राज्यों में भी इन्होंने अपना जाल फैला रखा था।

ईडी ने फ्रीज की रकम

ईडी ने इस मामले में 500 करोड़ रुपये की रकम को फ्रीज किया है जिसमें से सबसे ज्यादा पेयू से संबंधित है। फिर ईजीबज, रेजर पे, कैश फ्री और पेटीएम के नाम भी इस फेहरिस्त में शामिल हैं। इसमें दूसरे पेमेंट गेटवे वंडरबेक्ड अग्रीपे और स्पीडपे जैसी कंपनियों के नाम शामिल हैं। ईडी ने कुल 8 कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।

कंपनियाँ फ्रीज रकम (करोड़)

पेयू 130

ईजीबज 33.4

रेजर पे 18

कैश फ्री 10.6

पेटीएम 2.8

ईडी ने अब तक क्या किया?

ईडी ने अब इस मामले में 500 करोड़ रुपये तो फ्रीज किया ही है, 298 लोगों के खिलाफ चार्जशीट भी फाइल की है। नागालैंड की पीएमएलए कोर्ट ने 22 जनवरी को दिल्ली के व्यक्ति भूपेश अरोड़ा को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया है क्योंकि उसने एजेंसियों के सामने पेश होने से इनकार किया था।

(शेयर मंथन, 25 जनवरी 2025)

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