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बजट और मानसून पर काफी निर्भर है बाजार : गुल टेकचंदानी (Gul Teckchandani)

बाजार आगे अब इस साल के अंत तक यहाँ से ज्यादा नहीं बढ़ने वाला है। यहाँ से निफ्टी (Nifty) 500 अंक तक और बढ़ सकता है। अगर बजट बहुत ही प्रगतिशील रहा तो निफ्टी 8,500 तक जा सकेगा।

बजट के रूप में एक बड़ी घटना सामने है और बाजार की चाल उस पर काफी निर्भर करती है। अगर बजट में कॉर्पोरेट टैक्स जरा भी बढ़ा दिया गया तो बाजार में तात्कालिक रूप से एक ठीक-ठाक गिरावट आ सकती है और निफ्टी 7,100-6,900 तक गिर सकता है। लेकिन अगर टैक्स से ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की गयी तो निफ्टी इस साल के अंत तक 8,000-8,200 की ओर जा सकता है। इसमें एक शर्त यह भी है कि मानसून ज्यादा कमजोर न हो। अगर यहाँ से एक साल बाद यानी जून 2015 तक की बात करें तो फिर से बारिश और बजट पर बात आ जाती है।

जहाँ तक अर्थव्यवस्था की बात है, हमें पता है कि यह बुरी हालत में है। काफी उदारीकरण करने की जरूरत है। अगर नयी सरकार उदारीकरण के रास्ते पर निकल गयी और इसने करों के मोर्चे पर ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करते हुए पिछली तारीख से करों को लागू करने के मसले को सँभाल लिया तो दिसंबर 2014 तक निफ्टी 8,000-8,200 हो जायेगा। फिर उसके बाद अगले बजट को देखना पड़ेगा। सरकार को कहीं न कहीं से आमदनी जुटानी पड़ेगी। यह आमदनी सिगरेट और शराब जैसी चीजों पर ज्यादा कर लगाने से आ सकती है। अगर वह ऐसा करती है तो अच्छा होगा।

अभी बहुत ज्यादा आगे की बातें करने के लिए स्थितियाँ स्पष्ट नहीं हैं। अभी बारिश नहीं हो रही है। बजट सामने है। यह देखना होगा कि बजट में लोगों की 25-30' उम्मीदें भी पूरी होती हैं या नहीं। मैंने पहले जब निफ्टी 7,000 से ऊपर जाने की बातें कहीं थी तो लोग यकीन ही नहीं करते थे। मैंने कहा था (निवेश मंथन के जनवरी 2014 में) अगर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो निफ्टी 7,500 पर भी जा सकता है। पर उस समय कोई मानता नहीं था।

जरा तकनीकी लिहाज से भी देखें तो हाल में 7,700 का जो शिखर (टॉप) बना है, वह पार हुए बिना बाजार आगे नहीं बढ़ सकता और इस शिखर को पार करने के लिए अच्छा बजट आना और मानसून में सुधार होना जरूरी है। अगर बजट बहुत अच्छा आ गया तो बाजार एक बार मानसून की चिंता को भूल भी सकता है। अगर बजट खराब रहा तो तुरंत गिरावट आ जायेगी।

अभी से लेकर अगले साल के बजट तक, अगर निफ्टी 7,000 के नीचे नहीं जाता है तो बाजार में काफी लोगों का निवेश आ जायेगा। वहाँ से जब नयी चाल शुरू हो जायेगी तो उस समय की स्थितियाँ देखनी पड़ेंगी।

लेकिन फिलहाल मानसून और बजट को लेकर ही सबसे ज्यादा चिंताएँ हैं। इसके साथ-साथ इराक की स्थितियों पर भी नजर है।

नयी सरकार ने अब तक जो बातें कही हैं, वे सब अच्छी ही हैं। यह सरकार अच्छा काम करती रहे तो सेंसेक्स 2015 में ही 30,000 पर जा सकता है और 2016 में तो पक्का ही हो जायेगा। अगले पाँच साल में, या कह लें कि 2020 तक 50,000 पर जा सकता है। सेंसेक्स एक लाख का कब होगा, इसकी बात करने से पहले हम इसे 50,000 का तो होने दें। वैसे भी हमें सूचकांक से क्या लेना-देना है? हमें तो शेयरों में निवेश करना है। सूचकांक से केवल बाजार की धारणा का पता चलता है।

सब कुछ इस पर निर्भर है कि सरकार की नीतियाँ कैसी रहती हैं। सरकार को दो-चार चीजें ही करनी हैं। इसे पिछली तारीख से टैक्स वाली बातें हटा देनी हैं। उद्योग जगत के लिए सिंगल विंडो अगर लागू हो जाये, अगर यह सरकार पारदर्शिता बनाये रखे और समय के साथ ब्याज दरें घटनी शुरू हो जायें तो इन सबका अच्छा असर होगा। विकास दर फिर से तेज हो और निवेश चक्र चालू हो जाये तो तेजी जारी रहेगी।

बाजार की चाल अभी बहुत सारी बातों पर निर्भर है। अब इराक की स्थिति को ले लें। मैं कहता हूँ कि हालात स्थिर लग रहे हैं। इस पर लोग असली मतलब नहीं पकड़ पाते। हालात स्थिर हैं नहीं, स्थिर लग रहे हैं! वहाँ कब क्या हो जायेगा, किसको पता? जीएसटी को लेकर भी अनिश्चितता है। अगर बजट में जीएसटी लागू करने की बात हो जाये तो इससे जीडीपी को बड़ा सहारा मिल जायेगा। गुल टेकचंदानी, निवेश सलाहकार (Gul Teckchandani, Investment Advisor)

(शेयर मंथन, 01 जुलाई 2014)

 

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