नवनीत मुनोट
एमडी और सीईओ, एचडीएफसी एएमसी
महात्मा गांधी के शब्दों में, “किसी समाज की सच्ची पहचान इस बात से की जा सकती है कि वह अपने सबसे कमजोर लोगों के साथ कैसा व्यवहार करता है।” और सरकार ने ज्ञान (GYAN), यानी गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी को केंद्रित करके बिल्कुल यही करने का प्रयास किया है।
इस बजट को आँकड़ों की विश्वसनीयता, संरचनात्मक सुधारों की निरंतरता और एक बेहद टिकाऊ एवं समतापूर्ण तरीके से एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने की प्रतिबद्धता को लेकर पूरे अंक मिलते हैं। एक चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिदृश्य के बीच यह प्रतिबद्धता प्रशंसनीय है।
अब (बजट में) खर्चों की मात्रा के बदले उनकी गुणवत्ता पर, परिव्यय के बदले परिणाम पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। भौतिक, डिजिटल और सामाजिक - तीनों तरह के विश्वस्तरीय बुनियादी ढाँचे (इन्फ्रास्ट्रक्चर) को तैयार करने पर अडिग रूप से ध्यान दिया जा रहा है। समाज कल्याण को विशेष लक्ष्य बनाकर उसे प्राथमिकता दी गयी है, जिससे बेहतर गुणवत्ता के परिणाम सामने आयें। नवोन्मेष कोष (इनोवेशन फंड) बनाना इस बजट का एक महत्वपूर्ण आकर्षण है, जो एक आत्मनिर्भर और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।
वैसे तो यह अंतरिम बजट चुनाव से पहले की एक प्रक्रियागत आवश्यकता के चलते केवल एक लेखानुदान था। किंतु वित्त मंत्री ने वृद्धि (ग्रोथ) को समर्थन देने के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराया, खास कर बुनियादी ढाँचे (इन्फ्रास्ट्रक्चर) के लिए। साथ ही उन्होंने समाज के हर वर्ग में एक आत्मविश्वास भरा, जिससे इस अमृत काल में एक विकसित भारत का निर्माण हो।
राजकोषीय समेकन (फिस्कल कंसोलिडेशन) को लेकर प्रतिबद्धता और आपूर्ति (सप्लाई) को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिये जाने से आर्थिक स्थिरता को मजबूत मिलेगी। यह बॉन्ड बाजार एवं डेट म्यूचुअल फंडों के लिए एक अच्छी खबर है। शेयर बाजार में जहाँ लंबी अवधि के निवेशक इस बजट को सकारात्मक रूप से लेंगे, वहीं निकट भविष्य की दिशा वैश्विक संकेतों, आगे आने वाले आँकड़ों और कंपनियों के लाभ (अर्निंग) के परिदृश्य पर निर्भर करेगी। (शेयर मंथन, 1 फरवरी 2024)