तमाम एशियाई बाजारों की कमजोरी के बावजूद आज भारतीय शेयर बाजार ने काफी अच्छी शुरुआत की है। इस तेजी में सेंसेक्स का साथ केवल चीन का शंघाई कंपोजिट ही दे रहा है। दरअसल आज कई घरेलू सकारात्मक खबरों ने भारतीय बाजार को सहारा दिया। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय संकेत भी पूरी तरह नकारात्मक नहीं थे, क्योंकि एशियाई बाजारों में भले ही कमजोरी दिख रही हो, लेकिन अमेरिकी और यूरोपीय बाजार कल तेज ही थे।
दरअसल बाजार में यह उम्मीद काफी जोर पकड़ चुकी है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जल्दी ही ब्याज दरों में कटौती का फैसला कर सकता है। पिछले सप्ताह महंगाई दर आश्चर्यजनक तरीके से 9% के नीचे आ गयी थी, जबकि तमाम जानकारों को अगले कई हफ्तों तक महंगाई दर 10% के नीचे आने की उम्मीद नहीं थी। बाजार को ऐसा लग रहा है कि अगर महंगाई दर इस हफ्ते भी नीचे बनी रही तो शायद आरबीआई तुरंत ही ब्याज दरों में कमी के साथ-साथ नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को भी घटाने का फैसला करेगा। माना जा रहा है कि सीआरआर और एसएलआर में कटौती के जरिये भारतीय बैंकिंग व्यवस्था को अतिरिक्त 80,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध हो जायेगी। साथ ही ऐसी भी खबरें छपी हैं कि सरकार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पैसा उपलब्ध कराने के लिए 50,000 करोड़ रुपये की एक योजना लाने पर विचार कर रही है। इन सबके अलावा सरकार ने कल ही घरेलू उद्योग को सहारा देने के लिए इस्पात पर 5% आयात शुल्क बहाल करने का फैसला किया है। कच्चे सोया तेल पर भी 20% आयात शुल्क लगा दिया गया है। उम्मीद यह की जा रही है कि सरकार जल्दी ही कई सामानों पर उत्पाद शुल्क में कटौती कर सकती है।
आज के कारोबार में निवेशकों ने इन घोषणाओं और उम्मीदों का ही स्वागत किया है और एशियाई बाजारों से मिल रहे विपरीत संकेतों के बावजूद भारतीय बाजार में बढ़त दिख रही है। खास बात यह भी है कि चीन के शंघाई कंपोजिट सूचकांक में भी बाकी एशियाई बाजारों के विपरीत मजबूती है। क्वांटम सिक्योरिटीज के निदेशक नीरज दीवान का मानना है कि ब्याज दरों में संभावित कटौती की आशा में बाजार में उत्साह दिख रहा है और बैंकिग क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। यदि इस मजबूती को ब्याज दरों में की जाने वाली कटौती का सहारा मिला, तो अगले 2-3 कारोबारी सत्रों में बाजार मजबूत रहेगा। दीवान धातु शेयरों में आज की तेजी के पीछे भी आयात शुल्क वाली खबर का ही योगदान मानते हैं। हालांकि उनका मानना है कि इस तेजी का जारी रहना वैश्विक संकेतों पर भी निर्भर करेगा।