राजीव रंजन झा
किसी और के कंधे पर बंदूक रख कर गोली चलाने की कहावत काफी पुरानी है, शायद उतनी ही, जितनी पुरानी बंदूकें हैं। लेकिन इस कहावत की ताजा मिसाल है पिरामिड साईमीरा को मिली सेबी की नकली चिट्ठी। इसमें कंधा तो बिजनेस स्टैंडर्ड का था, लेकिन गोली किसने चलायी यह पता चलना अभी बाकी है।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने एक गलत खबर के लिए अपने पाठकों, सेबी और पिरामिड साईमीरा से माफी मांग ली है। शायद माफी मांगने की जरूरत नहीं थी, क्योंकि उसने अपनी सफाई में खुद कहा है कि वह एक धोखाधड़ी का शिकार हो गया। लेकिन फिर भी यह माफी मांग कर बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपनी जिम्मेदारी निभायी। इसने एक और अच्छा काम यह किया है कि इस चिट्ठी का अपना स्रोत पाठकों को बता दिया है। बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक खांडवाला सिक्योरिटीज के अशोक जैनानी ने उसके संवाददाता को सेबी की यह नकली चिट्ठी ईमेल की थी।
एक संभावना यह भी हो सकती है कि खुद अशोक जैनानी भी धोखाधड़ी का शिकार होने वाले लोगों में ही शामिल हों और उनके कंधे का इस्तेमाल बंदूक चलाने वाले असली व्यक्ति ने किया हो। लेकिन बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक जब उसके संवाददाता ने जैनानी से बात की तो उन्होंने यह पुष्टि की कि सेबी ने 19 दिसंबर को यह चिट्ठी भेजी है। यानी बात बस इतनी नहीं है कि उन्हें कहीं से यह चिट्ठी मिल गयी और उन्होंने इसे मीडिया को भेज दिया। उन्होंने संवाददाता को यह भरोसा दिलाया कि वास्तव में सेबी ने यह चिट्ठी भेजी है। तो क्या जैनानी एक फर्जी चिट्ठी के प्रथम स्रोत हैं?
इस पूरे मामले को देखें, तो अपराध की एक पूरी कड़ी बन रही है। किसी ने एक फर्जी चिट्ठी बनायी, जो अपराध है। इस अपराध के होने के दौरान या इससे ठीक पहले पिरामिड साईमीरा के शेयर भाव में एक असामान्य उछाल आयी। दिसंबर महीने के शुरुआती निचले स्तर, करीब 35-36 रुपये से पिरामिड साईमीरा का शेयर लगभग 83 रुपये के ऊँचे स्तर तक चला गया, यानी 135% की उछाल। भले ही हाल में मंझोले शेयर तेज रहे हैं, लेकिन फिर भी बाजार की तुलना में यह उछाल असामान्य ही मानी जायेगी। खबर तो सोमवार को छपी, पर इस शेयर में तेजी दिसंबर की शुरुआत से ही चालू थी। इससे यह संदेह होता है कि पूरी योजना बना कर एक साजिश को अंजाम दिया गया। इसलिए सेबी को केवल खबर छपने के बाद नहीं, पहले के सौदों पर भी नजर डालनी होगी।