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आरबीआई (RBI) ने लगातार चौथी बार घटायी रेपो दर

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने लगातार चौथी मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती कर दी है।

लगातार तीन बार 25-25 आधार अंकों की कटौती के बाद इस बार केंद्रीय बैंक ने रेपो दर (Repo Rate) में 35 आधार अंकों की कटौती का फैसला लिया है। हालाँकि जानकार 25 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद कर रहे थे। केंद्रीय बैंक ने अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए रेपो दर 35 आधार अंक घटा कर 5.40% कर दी है, जो पिछले 9 सालों में सबसे कम है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अपना रुख भी 'उदार' ही बरकरार रखा है।
आरबीआई ने रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo Rate) भी घटा कर 5.15% तथा सीमांत स्थायी सुविधा दर और बैंक दर 5.65% कर दी है।
गौरतलब है कि एमपीसी की समिति के 6 में से 4 चार सदस्यों (डॉ रवींद्र एच ढोलकिया, डॉ माइकल देवव्रत पात्रा, विभु प्रसाद कानूनगो और शक्तिकांत दास) ने नीतिगत रेपो दर में 35 आधार अंकों तक कम करने के लिए मतदान किया, जबकि दो सदस्यों (डॉ चेतन घाटे और डॉ पामी दुआ) ने 25 आधार अंकों की कटौती की वकालत की।
इसके अलावा आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास दर का अनुमान 7% से घटा कर 6.9% कर दिया है। आरबीआई के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में विकास दर 5.8-6.6% और दूसरी छमाही में 7.3-7.5% रह सकती है। इस दौरान चालू वित्त वर्ष की पहली दूसरी तिमाही में खुदरा महँगाई के लिए 3.1% और दूसरी छमाही में 3.5-3.7% रहने का अनुमान लगाया है।
क्या है रेपो दर और रिवर्स रेपो दर
रेपो दर वह दर होती है जिस पर आरबीआई अन्य बैंकों को दिये गये ऋण पर ब्याज वसूलता है। जबकि रिवर्स रेपो दर वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो दर बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है। (शेयर मंथन, 07 अगस्त 2019)

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