
टैरिफ पर अमेरिका और चीन लड़ रहे हैं और उसका फायदा भारत को मिल रहा है। अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले सामानों पर 145% तक का टैरिफ लगाया है। हालाँकि ट्रंप भी इसे ज्यादा मानते हैं लेकिन इससे चीनी कंपनियों की साँस फूलने लगी है। उन्हें डर सता रहा है कि कहीं उनके हाथ से अमेरिका का बाजार निकल न जाये। इसलिए ये अब भारत की तरफ देख रही है।
भारत के पास मौके ही मौके?
ट्रंप टैरिफ के कारण चीनी कंपनियों के लिए अमेरिका में कारोबार करना उतना आसान नहीं रहा। जहाँ दूसरे का सामान मान लीजिए 1 रुपये का है वहीं उनका सामान टैरिफ लगने के कारण 145 रुपये का। ऐसे में चीनी कंपनियों को डर सता रहा है कि कहीं टैरिफ के चक्कर में अमेरिका का बाजार उनके हाथों से फिसल ना जाए। इसलिए ये कंपनियाँ अब भारत की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रही हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ये कंपनियाँ चाहती हैं कि भारतीय कंपनियाँ उनके अमेरिकी ग्राहकों को सामान बेचें और उसके बदले में उन्हें थोड़ा कमीशन मिल जाये। मतलब सामान भारत का, बनाएगा भारत, अमेरिका भेजेगा भी भारत लेकिन कमीशन उन्हें चाहिए।
दरअसल, चीन के गुआंगझो प्रांत में चल रहे कैंटन फेयर के जरिये कई चीनी कंपनियों ने भारतीय कंपनियों से सीधे संपर्क साधा है। यहाँ सबसे बड़ी बात ये है कि भारत पर कितना भी टैक्स हो वो फिलहाल चीन से तो कम ही है। भारत पर कुल मिलाकर 26% का टैक्स लग रह है। वहीं, चीन पर कुल मिलाकर 145% का टैक्स है जो हर लिहाज से भारत के मुकाबले कहीं ज्यादा है। इसलिए चीनी कंपनियाँ भारत की तरफ देख रही हैं।
चीनी निवेश को भारत में बढ़ावा नहीं
चीनी कंपनियाँ भले ही भारत से उम्मीदें लगाये बैठी हैं लेकिन देश में सरकार चीन के निवेश को ज्यादा बढ़ावा नहीं दे रही है। देश में चीनी कंपनियों के न आने से भारतीय कंपनियों को उसका फायदा मिलता है। खास बात ये है कि अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड डील पर बातचीत चल रही है। बाजार ये मान रहा है कि ये जल्द ही एक स्थायी समझौते में भी बदलेगा। अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी भी कह चुके हैं कि भारत के साथ डील पर बातचीत अंतिम चरणों में है और भारत अमेरिका के साथ टैरिफ के बाद ट्रेड डील करने वाला पहले देश हो सकता है। ऐसे में अगर डील हो जाती है तो उसका फायदा भी भारत को मिलेगा। देश का एक्सपोर्ट और बढ़ सकता है।
भारत को क्या होगा फायदा?
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने चीन पर 145% का टैरिफ लगा रखा है। यानी चीन से अमेरिका जो भी सामान जाएगा उस पर अमेरिका 145% का टैक्स लगायेगा। वहीं, भारत से जो सामान अभी अमेरिका जाता है उस पर सिर्फ 10% का टैक्स लगता है जो आगे चलकर 26% हो सकता है। अमेरिका के साथ भारत की डील पर बातचीत चल रही है और उम्मीद की जा रही है कि इस डील से टैरिफ की दर और कम होगी।
वहीं, भारत सरकार की नीतियाँ ऐसी हैं कि वो चीनी निवेश को भारत में आने नहीं देती। यानी चीनी कंपनियों के लिए भारत में फैक्ट्री लगाना अभी संभव नहीं है। इसका सीधा फायदा घरेलू कंपनियों को मिलता है।
डील हुई तो क्या होगा?
बाजार उम्मीद कर रहा है कि अगले 5–6 महीनों में अमेरिका और भारत के बीच डील हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो भारत को अमेरिका से और ज्यादा ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। देश के विनिर्माण उद्योग को बड़े-बड़े ऑर्डर मिलेंगे तो उसमें भी काफी तेजी से उछाल देखने को मिलेगी। चीन पर आर्थिक दबाव बनेगा तो अमेरिकी बाजारों पर उसकी पकड़ कमजोर होगी। इसका फायदा भी भारतीय कंपनियों को मिलेगा। डील के होने से भारत और अमेरिका के बीच कारोबारी रिश्ते और मजबूत होंगे। अगर भारत ने इस मौके का सही फायदा उठाया तो वो वैश्विक आपूर्ति श्रंखला में काफी बड़ी भूमिका निभा सकता है।
(शेयर मंथन, 29 अप्रैल 2025)
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