101 रक्षा उत्पादों के आयात पर रोक से अगले 6-7 वर्षों में घरेलू उद्योग को लगभग 4 लाख करोड़ रुपये के ठेके हासिल होंगे। इस बात को ध्यान में रख कर किन शेयरों को लेकर बाजार में सबसे ज्यादा उत्साह नजर आने की संभावना है?
रियल इकोनॉमिक्स डॉट कॉम के संस्थापक और मुख्य अर्थशास्त्री प्रसेनजित के. बसु (P. K. Basu) का मानना है कि यह एक साहसिक कदम है, जिसका मध्यम अवधि में भारतीय उद्योग पर सकारात्मक असर होगा। बसु के अनुसार भारत फोर्ज को इस निर्णय से काफी बड़ा लाभ हो सकता है और साथ ही टाटा मोटर भी इससे लाभ उठा सकता है।
ऐंबिट एसेट मैनेजमेंट के एमडी एवं सीओओ सिद्धार्थ रस्तोगी का कहना है कि जो कंपनियाँ पहले से रक्षा वस्तुओं की आपूर्ति कर रही हैं, उन्हें रक्षा वस्तुओं के आयात पर रोक से घरेलू कंपनियों के लिए खुलने वाले कारोबार का सबसे बड़ा हिस्सा मिलेगा।
जानकार मानते हैं कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (HAL), बीएचईएल (BHEL), बीईएमएल (BEML), भारत डायनामिक्स (Bharat Dynamic) जैसी पीएसयू कंपनियों के अलावा टाटा, महिंद्रा, एलऐंडटी की रक्षा कंपनियों को इस निर्णय से बड़ा कारोबार मिल सकता है। एडीएजी समूह की रिलायंस डिफेंस भी इन ठेकों को हासिल करने की दौड़ में रह सकती है, लेकिन पिछले कुछ समय से यह समूह काफी संकट से घिरा है। इस कारण जानकारों को यह अंदेशा है कि शायद वह इस निर्णय का लाभ उठाने के लिए पहले जैसी मजबूत स्थिति में नहीं रह गयी है। रिलायंस डिफेंस का पुराना नाम पिपावाव डिफेंस था, जिसका अधिग्रहण करने के बाद एडीएजी समूह ने इसे यह नया नाम दिया। इसके अलावा जेन टेक्नोलॉजीज (Zen technologies) जैसी कंपनियों को भी नये ठेके मिलने की संभावनाएँ बढ़ेंगी।
रक्षा क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ी है और तमाम बड़े उद्योग घरानों ने इस क्षेत्र में कदम रख दिये हैं। हालाँकि भारतीय निजी उद्योग घरानों के पास रक्षा उत्पादन के लिए जरूरी उन्नत आधुनिक तकनीक और क्षमताओं की कमी है, लेकिन सरकार ने विदेशी निर्भरता घटाने के लिए भारत में घरेलू रक्षा उत्पादन को बड़े स्तर पर प्रोत्साहन देने की नीति अपनायी है। सिद्धार्थ रस्तोगी कहते हैं कि निजी भारतीय कंपनियाँ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के रास्ते विदेशी साझेदार को लाकर तकनीक और क्षमता की कमी को पूरा कर सकती हैं। इससे सारा खेल बदल सकता है। (शेयर मंथन, 10 अगस्त 2020)