उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित महँगाई दर अक्तूबर माह में घट कर चार महीने के निचले स्तर 4.87% पर आ गयी है। सांख्यकीय कार्यालय द्वारा सोमवार (13 नवंबर) को जारी सरकारी आँकड़ों के मुताबिक खाद्य उत्पादों के मूल्य में कमी की वजह से अक्तूबर में महँगाई दर में नरमी देखने को मिली है।
इससे पहले जून 2023 में मुद्रास्फीति 4.87% रिकॉर्ड की गयी थी। सीपीआई आधारित दर सितंबर माह में तीन महीने के निचले स्तर 5.02% पर रही थी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने अक्तूबर बैठक में 2023-24 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5.4% रहने का अनुमान जताया था, जो 2022-23 में 6.7% से कम है।
केंद्र सरकार ने आरबीआई को सीपीआई मुद्रास्फीति को दोनों तरफ 2% के मार्जिन के साथ 4% के नीचे रखने की जिम्मेदारी सौंपी है। इसमें केंद्रीय बैंक अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति तय करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है।
उपभोक्ता मामलों के विभाग के आँकड़ों के मुताबिक, टमाटर की खुदरा कीमतों में माह-दर-माह के आधार पर 24.5% की कमी आयी, लेकिन अक्तूबर में आलू की कीमतें काफी हद तक स्थिर रहीं। हालाँकि, प्याज की कीमतें क्रमिक रूप से 11.6% बढ़ीं। चावल और गेहूँ के दाम जहाँ माह-दर-माह के आधार पर क्रमश: 1.0% और 0.6% ऊपर रहे, वहीं दालों के दाम में 2.0% की तेजी रही।
प्रमुख खाद्य पदार्थों की कीमतों में निरंतर वृद्धि से हेडलाइन सीपीआई प्रिंट पर दबाव बना हुआ है, जो वित्त वर्ष 24 में औसतन 5.4% होने की संभावना है (भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार)। रिजर्व बैंक का मानना है कि वित्त वर्ष 2025 के दौरान ही उपभोक्ता मूल्य आधारित मुद्रास्फीति 4% से नीचे आएगी।
(शेयर मंथन, 13 नवंबर 2023)