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आरबीआई ने दरों में नहीं किया बदलाव, रेपो रेट 6.5 फीसदी पर बरकरार

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास ने आज मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक के फैसले का ऐलान किया। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा कि ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। ऐसा लगातार दसवीं बार हुआ है जब ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। रेपो रेट 6.50% पर बरकरार है वहीं MSF रेट भी 6.75% पर स्थिर है।

 MPC के 6 में से 5 सदस्य दरों में बदलाव के पक्ष में नहीं थे। वहीं आरबीआई ने अपने अकोमोमोडेटिव रुख में बदलाव करते हुए न्यूट्रल करने का ऐलान किया। आरबीआई (RBI) के मुताबिक महंगाई दर में कमी देखने को मिली है, हालाकि महंगाई को लेकर RBI अभी भी सतर्क है। एमपीसी में बाहरी सदस्य के तौर पर नियुक्त नागेश कुमार ने रेपो रेट में 0.25% कटौती के पक्ष में वोट दिया। वहीं रुख न्यूट्रल करने पर MPC के सभी सदस्य सहमत रहे।   

महंगाई दर 4% पर लाने के लिए RBI का प्रयास जारी है। ग्रोथ के साथ महंगाई को 4% पर लाने का लक्ष्य है। ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग में स्लोडाउन के संकेत देखने को मिले हैं। जियोपॉलिटिकल तनाव से वैश्विक स्तर पर ग्रोथ पर असर देखने को मिल सकता है। वहीं जियोपॉलिटिकल तनाव से महंगाई के बढ़ने का खतरा है। अक्टूबर में महंगाई दर 5% के करीब रह सकती है। तीसरी तिमाही के बाद महंगाई दर में कमी देखने को मिलेगी। FY13 के बाद GDP में निवेश का हिस्सा रिकॉर्ड स्तर पर है। आरबीआई के मुताबिक घरेलू अर्थव्यवस्था में मजबूती बरकरार है, वहीं बेहतर मॉनसून से ग्रामीण ग्रोथ को सहारा मिल रहा है। निजी, सरकारी निवेश में तेजी आने के संकेत दिखे हैं।
      
जहां तक वित्त वर्ष FY25 में GDP का सवाल है तो उसे 7.2% के स्तर पर बरकरार रखा है। दूसरी तिमाही में GDP 7.2% से घटाकर 7% रहने का अनुमान है। वहीं तीसरी तिमाही में GDP अनुमान 7.3% से बढ़ाकर 7.4% किया गया है। चौथी तिमाही में भी GDP अनुमान 7.2% से बढ़ाकर 7.4% हुआ है। वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही Q1FY26 GDP अनुमान 7.2% से बढ़ाकर 7.3% किया है।            
जहां तक वित्त वर्ष 2025 में महंगाई का सवाल है तो उसे 4.5% पर बरकरार रखा गया है। दूसरी तिमाही में महंगाई दर 4.4% से घटाकर 4.1% किया गया है। जबकि तीसरी तिमाही में महंगाई दर का अनुमान 4.7% से बढ़ाकर 4.8% किया गया है। वहीं चौथी तिमाही में महंगाई अनुमान 4.3% से घटाकर 4.2% किया गया है। आरबीआई के मुताबिक मौजूदा महंगाई और ग्रोथ के बीच संतुलन के कारण रुख में बदलाव किया गया है। जहां तक करेंसी का सवाल है तो मजबूत फंडामेंटल्स के चलते रुपये में कम उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। रुपये का भाव एक दायरे में रहने का अनुमान है।

बैंक, NBFC की फाइनेंशियल स्थिति मजबूत है। हालाकि आरबीआई ने बैंकों, NBFCs को निजी स्तर पर एक्सपोजर का आकलन करने की सलाह दी है। कुछ NBFCs के ग्रोथ को लेकर चिंता जताई गई है जहां पर जोखिम प्रबंधन की बजाए ग्रोथ पर ज्यादा फोकस दिया गया है। ज्यादा लागत और कर्ज से NBFCs की स्थिरता पर असर संभव है। NBFCs को रिस्क मैनेजमेंट पर ध्यान देने की जरूरत है। चालू खाता घाटा को लेकर चिंता करने की बात नहीं है। FY25 में भी विदेशी निवेश में मजबूती जारी रहेगी। फॉरेक्स रिजर्व $70,000 करोड़ के पार निकल गया है। माइक्रोफाइनेंस लोन के लिए प्री-पेमेंट चार्ज पर आरबीआई ने रोक लगाई है। वहीं प्राइमरी अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों के पूंजी जुटाने पर डिस्कशन पेपर जारी किया जाएगा। इसके अलावा चुनिंदा ट्रांजैक्शन पर UPI लिमिट बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है। UPI Lite की सीमा 2000 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये की गई है। 23 अक्टूबर को RBI मिनट्स जारी होंगे।

(शेयर मंथन, 09 अक्टूबर, 2024)

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