स्थानीय मंडियों में कम होते स्टॉक औऱ विदेशी बाजारों में दालों की अधिक कीमतों के कारण बाजार में तेजी का रुझान बना रह सकता है। पिछले वर्ष कम उत्पादन के कारण स्थानीय मंडियों में चने का कुल स्टॉक कम होकर 20-25 लाख टन रह गया है। इसके अतिरिक्त तूर और उड्द जैसी खरीफ दालों की सप्लाई भी कम हो रही है। डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होनें से भी आयातित दालों में तेजी का रुझान है। चने के लिए एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज की सलाह है कि चना वायदा सितंबर की कीमतों को 4800 के स्तर पर बाधा का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन किसी बड़ी गिरावट की संभावना नहीं है।
दिल्ली में चने की हाजिर कीमतें 4812.75 रुपये रही है। और चने का पिछला बंद भाव 4833.40 रुपये रहा है।
(शेयर मंथन 21 अगस्त 2015)