सेबी ने पार्टिसिपेटरी नोट्स पर फिर से कुछ और शिकंजा कसने वाले प्रस्ताव सामने रखे हैं। माना जा रहा है कि यह कदम काले धन पर अंकुश के विभिन्न उपायों की ही अगली कड़ी है।
सेबी ने एक श्वेतपत्र में कहा है कि 1 अप्रैल से ओवरसीज डेरिवेटिव इंस्ट्रुमेंट (ओडीआई) पर शुल्क लगाया जाये। यह शुल्क प्रति फॉरेन पोर्टफोलिओ इन्वेस्टर (एफपीआई) प्रति पी-नोट ग्राहक या ओडीआई निवेशक पर 1,000 डॉलर का होगा। सेबी का कहना है कि पी-नोट्स का उपयोग केवल हेजिंग के उद्देश्य से हो। एफपीआई को यह सुनिश्चित करना होगा कि सटोरिया उद्देश्य से पी-नोट्स जारी न हों। इन प्रस्तावों पर 12 जून 2017 तक लोगों से प्रतिक्रियाएँ माँगी गयी हैं।
यह भी प्रस्तावित है कि ओडीआई खरीद-बिक्री का विवरण मासिक रूप से जमा करना होगा। ओडीआई पर शुल्क लगाने का उद्देश्य यह है कि ओडीआई निवेशक सीधे एफपीआई के रूप में सेबी में अपना पंजीकरण करायें। पिछले कुछ समय से पी-नोट्स का प्रतिशत लगातार घटा है। जनवरी 2016 में यह कुल एफपीआई संपत्तियों का 10.5% था, जो घट कर अक्टूबर 2016 में 7.8% और अप्रैल 2017 में 6% पर आ गया है। (शेयर मंथन, 29 मई 2017)
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