इस हफ्ते उत्पादन क्षेत्रों में मॉनसून को लेकर स्पष्ट स्थिति होने तक सोयाबीन वायदा (अगस्त) की कीमतें 3,600-3,625 रुपये के दायरे में कारोबार करती रह सकती हैं।
मौजूदा सीजन में खरीफ फसलों में सोयाबीन एकमात्र फसल होगी, जिसे अभी तक कमजोर मॉनसून से खतरा है। पिछले वर्ष की तुलना में अभी तक केवल एक-तिहाई क्षेत्रों में सोयाबीन की बुआई हुई है और अंततः कुल बुआई क्षेत्र औसतन 1.1 करोड़ हेक्टेयर रहने का अनुमान है। जुलाई से बेहतर बारिश की संभावना से आगामी दिनों में बुआई में बढ़ोतरी होने की संभावना है।
सीबोट में अमेरिकी सोयाबीन वायदा (अगस्त) की कीमतों को 8.85 डॉलर प्रति बुशल के नजदीक सहारा जारी रह सकता है। डॉलर के कमजोर होने और अमेरिकी कृषि विभाग द्वारा 2019-20 में सोयाबीन के उत्पादन अनुमान को जून के 30.5 करोड़ बुशल से कम करके के 3.845 अरब बुशल कर दिये जाने से कीमतों को मदद मिलने की संभावना है।
सरसों वायदा (अगस्त) की कीमतें 3,900-3,935 रुपये के दायरे में कारोबार करती रह सकती हैं। 103 रुपये प्रति की नकारात्मक पेराई मार्जिन के कारण मिलों द्वारा पेराई के लिए कमजोर माँग के कारण भी कीमतों पर दबाव पड़ रहा है।
सीपीओ वायदा (जुलाई) की कीमतें 500-506 रुपये के दायरे में सीमित दायरे में कारोबार कर सकती हैं। बाजार में इंडोनेशियाई सस्ते पॉम तेलों की आपूर्ति में बढ़ोतरी के बाद मलेशिया और इंडोनेशिया के बीच कीमतों को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ गयी है, जिससे मलेशियाई सीपीओ की कीमतों पर दबाव पड़ रहा है।
सोया तेल वायदा (अगस्त) की कीमतें 725 रुपये के सहारे पर तेजी के रुझान के साथ कारोबार कर सकती है। डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने की संभावना से आयात महँगा हो सकता है और खाद्य तेल की कीमतों में उछाल दर्ज की जा सकती है। भारत में जून महीने में वनस्पति तेलों का आयात 6% बढ़ कर 11 लाख टन हो गया है। (शेयर मंथन, 19 जुलाई 2019)
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