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इस साल का अनुमान लगाना मुश्किल

पशुपति सुब्रह्मण्यम, रिसर्च प्रमुख, वेंचुरा सिक्योरिटीज

बाजारों की अनिश्चितता ऐसी है कि आगे आने वाले एक साल के लिए कुछ कहना काफी मुश्किल है। यह लोकसभा चुनाव का साल है, ऐसे में चुनावों से तीन महीने पहले और इसके तीन महीने बाद यानी कुल छः महीने तक नीति निर्धारण का काम रुक जायेगा।

वैश्विक हालात अच्छे नहीं हैं और बड़ी कंपनियों की ओर से खराब नतीजे आने का सिलसिला जारी है। हमारी आईटी कंपनियों के ग्राहकों की एक बड़ी संख्या बाहर से है। जनवरी में आईटी कंपनियों के ठेकों का नवीनीकरण होता है। ऐसे में यह देखना काफी महत्वपूर्ण होगा कि उनके कितने ग्राहक नवीनीकरण कराते हैं और किन शर्तों पर।

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