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फर्जी खबरों और कागजी गोलमाल के दम पर बढ़े भारत ग्लोबल डेवलपर्स के शेयरों के भाव, अब सौदों पर रोक

भारत ग्लोबल डेवलपर्स (Bharat Global Developers) के शेयरों में असामान्य व्यवहार की शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए बाजार नियामक सेबी ने सख्त कदम उठाया है। सेबी ने अगले आदेश तक कंपनी के शेयरों में व्यापार स्थगित कर दिया है। इसके साथ ही कंपनी के प्रवर्तकों को भी बाजार में भाग लेने से रोक दिया है। 

दरअसल, सोशल मीडिया पर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को कंपनी के खिलाफ काफी शिकायतें मिल रही थीं। जिसके बाद बाजार नियामक ने शेयरों के असामान्य व्यवहार की जाँच के बाद कंपनी के शेयरों में ट्रेडिंग पर रोक लगा दी है। यानी अगले आदेश तक कंपनी के शेयर में कोई लेन-देन नहीं हो सकेगा। 

कमजोर वित्तीय स्थिति के बावजूद भारत ग्लोबल डेवलपर्स के शेयर में पिछले एक साल में 23 गुना उछाल देखने को मिली। इससे कंपनी का बाजार पूँजिकरण 12,500 करोड़ रुपये तक पहुँच गया। यानी कागजों में मूल्यांकन बढ़ता रहा लेकिन हकीकत में सब गोलमाल था। वित्त वर्ष 2023 तक कंपनी की आय शून्य थी और प्रमोटरों की हिस्सेदारी भी नहीं थी। सभी 100% शेयर पब्लिक के पास थे।

क्या है मामला?

सेबी को कंपनी के खिलाफ सोशल मीडिया पर कई दिनों से शिकायतें मिल रही थीं। इन शिकायतों में कंपनी के वित्तीय और प्रकटीकरण नियमों की अनदेखा का शक जताया गया था। इसी के बाद सेबी ने कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की। बाजार नियमक ने जाँच में पाया कि कंपनी के वित्त वर्ष 2023 और 2024 के आँकड़ों में काफी अंतर है। जैसे वित्त वर्ष 2023 में कंपनी की आय, खर्च, स्थायी संपत्ति और कैश फ्लो कम था, लेकिन मार्च 2024 को खत्म होने वाली तिमाही में कंपनी ने जो नतीजे पेश किये उसमें ये अप्रत्याशित रूप से काफी बढ़े हुए दिखे। दिसंबर 2023 में कंपनी के प्रबंधन में भी बदलाव हुआ था। इसी के बाद कंपनी को मानो पंख लग गए और उसका कारोबार बढ़ा। बड़े स्तर पर प्रेफरेंशियल अलॉटमेंट किए गए और बड़ी बड़ी डील्स भी। अक्टूबर 2024 में कंपनी ने 6 नई कंपनियाँ बनायीं। ये सब प्रेफरेंशियल शेयरों के लॉक-इन की मियाद खत्म होने से ठीक एक दिन पहले किया गया।

सेबी का आदेश
सेबी ने अगले आदेश तक कंपनी के शेयर में ट्रेडिंग स्थगित कर दी है और कंपनी के 17 व्यक्तियों के शेयर बाजार में कामकाज पर रोक लगा दी गयी है। नियामक ने कंपनी, इसके प्रबंध निदेशक अशोक कुमार सेवाडा, सीईओ मोहसिन शेख और निदेशकों दिनेश कुमार शर्मा और निराली प्रभातभाई करेथा और कई प्रिफरेंशियल शेयरों के अलॉटमेंट को प्रतिभूति बाजार से प्रबंधित कर दिया गया है। इन लोगों के खातों से किसी भी प्रकार का लेन देन करने पर रोक लगा दी है। सभी सदस्यों को 15 दिनों के अंदर अपनी संपत्ती की जानकरी देने का भी आदेश दिया है। सेबी ने आदेश में लगभग 271.5 करोड़ रुपये के अवैध लाभ को जब्त करने का निर्देश दिया है।

कहाँ से हुई गड़बड़ी?
कंपनी के शेयर अप्रत्याशित रूप से 105 गुना तक बढ़ गये। इसी तेजी के बाद सेबी के कान खड़े हुए और जाँच शुरू हुई। कंपनी के शेयर नवंबर 2023 में 16.14 रुपये से बढ़कर नवंबर 2024 में 1702 रुपये के भी पार पहुँच गए थे। कंपनी ने 8:10 बोनस और 10:1 स्प्लिट का ऐलान किया, जिसके बाद इनमें और तेजी आई। इस साल 13 निवेशकों को 10 रुपये प्रति शेयर के भाव पर प्रिफरेंशियल अलॉटमेंट किया गया। लॉक-इन पीरियड खत्म होते ही इन निवेशकों ने शेयर बेच दिया जिससे उन्हें 269 करोड़ रुपये का फायदा हुआ। कंपनी ने मार्केट में बार-बार गलत लेकिन अपने बारे में सकारात्मक खबरें पेश कीं। इससे भी निवेशकों का रुझान इधर बढ़ा। साथ ही कंपनी ने अपनी स्थापना के बाद से 5 बार नाम बदला, जिससे निवेशकों के लिए इसकी पहचान और ट्रैकिंग मुश्किल हुई।

(शेयर मंथन, 26 दिसंबर 2024)

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