काबुल का पतन होने के एक सप्ताह बाद भी तालिबान एक नयी सरकार नहीं बना पाया है।
अफगान नागरिकों और खास कर महिलाओं की ओर से काबुल में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं कई हिस्सों में अलग-अलग गुटों ने तालिबान को वापस खदेड़ दिया है और गृहयुद्ध जैसी स्थिति बनने के पूरे आसार लग रहे हैं। ऐसे में भारत की अफगान नीति अभी क्या होनी चाहिए? देखें इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद जोशी और लोक सभा के पूर्व अतिरिक्त सचिव अतुल कौशिक के साथ राजीव रंजन झा की यह बातचीत।
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(शेयर मंथन, 21 अगस्त 2021)