संचार (Telecom) क्षेत्र में लाइसेंस (license) और स्पेक्ट्रम (spectrum) से जुड़े विवादों के सिलसिले में टाटा समूह (Tata Group) और रिलायंस एडीए (Reliance ADA) समूह के बीच बयानबाजी की जंग तेज हो गयी है।
टाटा समूह ने रिलायंस एडीए के पिछले बयान पर आज एक तीखी टिप्पणी जारी की। इसके जवाब में रिलायंस एडीए ने फिर से जवाबी बयान जारी किया है।
दरअसल एक दिन पहले रिलायंस कम्युनिकेशंस (Reliance Communications) ने बयान दिया था कि "दोहरी तकनीक (dual technology) के लिए उसे दी गयी मंजूरी फरवरी 2006 से यानी 18 महीनों से लंबित आवेदन के आधार पर थी। यह मंजूरी तीन अन्य कंपनियों - श्री रतन टाटा के समूह की कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज (TTSL), हिमाचल फ्यूचरिस्टिक कम्युनिकेशंस (HFCL) और श्याम टेलीकॉम (Shyam Telecom) जो अब सिस्टेमा (Sistema) है, के बिल्कुल बराबर शर्तों और उनके बराबर ही शुल्क के भुगतान पर दी गयी। इसमें कोई विशेष या अवांछित बात नहीं थी।"
इस पर टाटा समूह ने आज कहा कि "दूरसंचार विभाग (DoT) ने 19 अक्टूबर 2007 में जब दोहरी तकनीक (ड्यूअल टेक्नोलॉजी) की अनुमति दी तो ऊपरी बतायी गयी कंपनियों में से टाटा टेलीसर्विसेज (टीटीएसएल) इसके लिए आवेदन करने वाला अकेला ऑपरेटर था। इसलिए टीटीएसएल की तुलना उन आवेदकों से करना अनुचित और गलत होगा, जिन्होंने इस नीति की घोषणा से पहले आवेदन किया था। सीएजी ने भी अपनी रिपोर्ट में यही बात कही है।"
टाटा समूह ने अपने बयान में आगे कहा कि "यह वास्तव में विशेष और किसी पहेली जैसी है कि रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) और दो अन्य ऑपरेटरों ने इस नीति की घोषणा से पहले ही आवेदन किया और उस पर मंजूरी भी हासिल कर ली। यह बात और भी बड़ी पहेली है कि रिलायंस कम्युनिकेशंस को तुरंत ही सभी सर्किलों में स्पेक्ट्रम मिल गया, जबकि टीटीएसएल को डीओटी की मंजूरी 83 दिनों बाद मिली। इस मंजूरी के 3 साल बीत जाने के बाद भी टीटीएसएल को दिल्ली जैसे महत्वपूर्ण सर्किल और 9 अन्य सर्किलों में कारोबारी रूप से महत्वपूर्ण 39 जिलों में स्पेक्ट्रम मिलने का इंतजार करना पड़ रहा है।"
टाटा समूह ने अपने बयान में इस बात पर भी ऐतराज जताया कि रिलायंस कम्युनिकेशंस ने अपनी टिप्पणी में "श्री रतन टाटा (Ratan Tata) के समूह की कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज" क्यों कहा। टाटा समूह का कहना है कि टाटा टेलीसर्विसेज या टाटा समूह किसी परिवार के स्वामित्व या संचालन के अधीन नहीं है और न ही इसका स्वामित्व रतन टाटा के पास है। इसलिए रिलायंस कम्युनिकेशंस का ऐसा लिखना गलत है।
टाटा समूह की इस टिप्पणी के तुरंत बाद सोमवार शाम रिलायंस कम्युनिकेशंस ने फिर से जवाब दिया। इसने कहा कि "टाटा समूह ने बड़े हल्के आधारों पर आरकॉम पर जो आरोप लगाये हैं, उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2008 में और टीडीसैट ने 2009 में ही नकार दिया था।" आरकॉम की टिप्पणी यहाँ तक कहा गया, "इस बात से बड़ा संदेह होता है कि श्री रतन टाटा अचानक टाटा टेलीसर्विसेज को अपना मानने से इन्कार कर रहे हैं और कहा जा रहा है कि यह 'रतन टाटा की कंपनी' नहीं है। ऐसा लगता है कि जो कुछ प्रत्यक्ष दिखता है, उससे ज्यादा कहीं कुछ है। श्री रतन टाटा अपने समूह और टाटा टेली से दूरी बना रहे हैं, जो रिकॉर्ड में दर्ज दस्तावेजों और पत्रों से से पूरी तरह विपरीत है।" (शेयर मंथन, 14 फरवरी 2011)
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