इडेलवाइज ने अपनी रिपोर्ट में कारोबारी साल 2008-2009 की दूसरी तिमाही के दौरान भारत के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर को अनुमानों से बेहतर माना है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर स्वयं इडेलवाइज के 7.4% और बाजार के 7.2% के अनुमानों से कहीं बेहतर 7.6% दर्ज की गयी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कारोबारी साल 2008-09 की आगे आने वाली दो तिमाहियों के लिए भी विकास दर के कमजोर रहने की ही संभावना है। इडेलवाइज ने कारोबारी साल 2008-09 के लिए सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर के 7.8% के आसपास रहने का अनुमान लगाया था, लेकिन अब इसने नवंबर 2008 में इसे संशोधित कर 7.4% कर दिया है।
इडेलवाइज का मानना है कि कारोबारी साल 2008-09 की तीसरी तिमाही में कंस्ट्रक्शन और मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्रों में गिरावट दर्ज किये जाने की संभावना है, जबकि एग्रो-हार्वेस्ट क्षेत्र से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वेतन आयोग की सिफारिशों से प्राप्त लब्धियों की वजह से सामुदायिक और सामाजिक सेवा क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन संभव है।
इडेलवाइज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कैलेंडर साल 2009 में कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं के मंदी के चपेट में आने की आशंका है। औद्योगिक विकास सूचकांक और उपभोक्ता व्यय सूचकांक कई सालों के अपने सबसे निचले स्तर पर आ गये हैं और यह इस बात का संकेत है कि हाल-फिलहाल औद्योगिक विकास की दर के तेज होने या उपभोक्ताओं द्वारा किये जा रहे खर्च में बढ़ोतरी की संभावना लगभग नहीं के बराबर है।