अंतरराष्ट्रीय खाद्यान्न परिषद ने वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण विकासशील देशों में विशेष रूप से एशियाई देशों में गेहूं की खपत में कमी आने का अनुमान लगाया है। आईजीसी (इंटरनेशनल ग्रेन काउंसिल) की ओर से जारी अपनी रिपोर्ट में एशियाई और उप-सहारा देशों के बारे में कहा गया है कि कठिन वित्तीय और मौद्रिक स्थितियों की वजह से अनाज की खपत घट सकती है।
गौरतलब है कि आईजीसी ने वर्ष 2008-09 के लिए दुनिया भर में गेहूं का खपत का अनुमान 10 लाख टन घटाकर 65 करोड़ टन कर दिया है। हालांकि यह आंकड़ा पिछले साल के 61.4 करोड़ टन के आंकड़े से अधिक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चारे के रूप में गेहूं का इस्तेमाल बढ़ कर 11.9 करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया जो पिछले सत्र की तुलना में 3 करोड़ टन अधिक है। वहीं यूरोप और उत्तरी अमेरिका में निम्नस्तरीय गेहूं की आपूर्ति बढ़ने से चारे के तौर पर गेहूं की खपत में और बढ़ोतरी होगी। विश्व में गेहूं की आधी से ज्यादा खपत विकासशील देशों में ब्रेड, पास्ता और बेकरी उत्पादों के बनाने में होती है।