राजीव रंजन झा
कल सेंसेक्स-निफ्टी की दिन भर की चाल को देखें, तो इसमें एक अजीब-सी बेचैनी नजर आती है - लगातार एक असमंजस वाली जद्दोजहद। लगता है कि बाजार अपनी अगली दिशा तय नहीं कर पा रहा। कल पूरे दिन निफ्टी 2,600 के नीचे नहीं गया, 2,700 के ऊपर नहीं गया। इससे पहले मंगलवार को भी निफ्टी एक तीखी गिरावट के साथ खुलने के बाद दिन भर तकरीबन 100 अंकों के दायरे में बंधा रहा। इसे ऊपर की ओर 2,700 को छूने का मौका नहीं मिला। नीचे की ओर 2,570 तक थोड़ी देर के लिए गया, लेकिन मोटे तौर पर 2,600 की लक्ष्मण रेखा बनी रही और अंत में यह 2,658 पर टिका।
निफ्टी 11 नवंबर को 3,000 के पायदान से नीचे फिसलने के बाद से इस स्तर को वापस नहीं देख पाया है। उसके बाद ही इसने नवंबर का सबसे निचला स्तर 2,502 पर बनाया। यानी पिछले 14 कारोबारी दिनों से निफ्टी 500 अंकों के इस दायरे में घूम रहा है। लेकिन अगर व्यावहारिक रूप से देखें, तो यह दायरा और भी छोटा है। हाल के दिनों में बार-बार दिखा है कि यह 2,700 के ऊपर टिक नहीं पा रहा। दूसरी ओर, 2,600 के जरा-सा नीचे जाते ही फिर से कुछ खरीदारी सामने आ जाती है और यह वापस संभल जाता है। महज 100 अंकों के व्यावहारिक दायरे में गुजरे हैं हाल के 10-12 दिन!
जाहिर है कि यह दिशाहीनता कारोबारियों और निवेशकों को बेचैन कर रही है। लेकिन शेयर बाजारों का इतिहास बताता है कि ऐसी ही बेचैनी के बीच से एक नयी दिशा मिल पाती है। इसलिए यह तो समझा जा सकता है कि जब भी भारतीय बाजार अपने इस दायरे को तोड़ेंगे, तो उनमें एक नया संवेग होगा। लेकिन इस संवेग की दिशा ऊपर होगी या नीचे, यह दावे के साथ कोई नहीं कह सकता। एक तरफ तकनीकी नजरिये से बाजार को कमजोर कहा जा सकता है, तो दूसरी तरफ मूल्यांकन अपनी गर्त पर हैं जिससे बाजार को सहारा भी मिल रहा है। यानी इस रस्साकशी में कोई भी पक्ष कमजोर नहीं है!
अभी हम हाल की तलहटी से महज 100-150 अंक ऊपर हैं। ऐसे में अगर नयी चाल ऊपर की ओर खुलती है, तो यह इस धारणा को मजबूत करेगी कि बाजार में अभी और नीचे जाने की इच्छा नहीं है। दूसरी ओर अगर हाल की तलहटी टूटती है तो इससे उन लोगों के तर्क मजबूत होंगे, जो मानते हैं कि अभी भारतीय बाजार में गिरावट की काफी गुंजाइश बाकी बची है।