गुल टेकचंदानी, निवेश सलाहकार
सरकार का आर्थिक पैकेज सही दिशा में है, लेकिन इसकी मात्रा पर बहस हो सकती है। मेरा मानना है कि यह काफी कम है। शायद सरकार को उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) में ज्यादा कटौती करनी चाहिए थी।
ब्याज दरों में भी कुछ और कटौती हो सकती थी। बैंक इस समय कर्ज देने से हिचक रहे हैं और इस हिचक को दूर करना जरूरी है। यह हिचक तभी दूर होगी जब एनपीए के बारे में उनका डर कुछ कम किया जाये। दूसरे, अगर रेपो दर और कम की जाये, तो उससे बैंकों में कर्ज देने की इच्छा भी बढ़ेगी।
इस पैकेज और ब्याज दरों में कटौती से बाजार पर सकारात्मक असर तो जरूर होगा, लेकिन फिर से इसकी मात्रा पर बहस हो सकती है। यह सराकात्मक असर कितना टिक सकेगा, यह भी देखने वाली बात होगी क्योंकि घरेलू बातों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों का असर भी चलता रहेगा। वैसे भी जनवरी-मार्च का समय तकलीफ भरा रहने की संभावना है। जो चुनावी नतीजे आ रहे हैं, उनमें दो ही दल प्रमुखता से उभर रहे हैं। यह बाजार के भविष्य के लिए भी अच्छा है। निवेशकों के लिए मेरी सलाह यही है कि अगर वे 2 साल तक निवेश बनाये रखने की क्षमता रखते हैं, तभी खरीदारी करें और यह खरीदारी धीमे-धीमे करें।