राजीव रंजन झा
बड़े दिनों बाद रियल एस्टेट क्षेत्र के शेयरों में यह जोश दिखा है। डीएलएफ करीब 19% उछला, इंडियाबुल्स रियल एस्टेट में 10.6% की तेजी रही, यूनिटेक 6.5% मजबूत हो गया, और इस क्षेत्र के बाकी ज्यादातर शेयरों ने भी कल एक अच्छा दिन देखा। नवंबर के ज्यादातर हिस्से में ये शेयर बुरी तरह पिटते रहे थे। दिसंबर के पहले हफ्ते में ही डीएलएफ ने 167.50 रुपये का निचला स्तर बनाया था। वहाँ से अब यह 56.8% ऊपर है। यूनिटेक की कहानी देखिये। अब यह 35 रुपये पर है, हाल के निचले स्तर 21.80 रुपये से 60.5% ऊपर। बाजार कब और कितनी मेहरबानी बरतेगा, यह शायद ईश्वर के सिवाय कोई नहीं जान सकता!
जब ये शेयर अंधाधुंध तेजी के दौर में थे, तब भी इन शेयरों का वाबिज मूल्यांकन बताना किसी के बस में नहीं था। और आज जब ये पाताल छू कर लौटे हैं, तब भी यह समझना मुश्किल है कि कहीं इन स्तरों पर भी गुब्बारे की रही-सही हवा निकलनी बाकी तो नहीं। इसलिए ये शेयर यहाँ से ऊपर ही जायेंगे, इन्हीं स्तरों पर झूलते रहेंगे या हाल के निचले स्तरों को तोड़ कर कहीं और नीचे अपनी तलहटी बनायेंगे, इस अटकलबाजी में पड़ना मेरे बस की बात नहीं है। लेकिन इतना जरूर दिख रहा है कि रियल एस्टेट कंपनियों के तिमाही नतीजे इस बार काफी झटके देंगे। हालांकि जुलाई-सितंबर तिमाही में भी इनके नतीजे कमजोर ही रहे थे, लेकिन अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही और ज्यादा मुश्किल साबित हो सकती है। इसकी वजह यह है कि खुद रियल एस्टेट कंपनियों के मुताबिक इनकी मुश्किलें सितंबर के बाद से ज्यादा बढ़ी हैं।
हालांकि सितंबर के बाद से ही इन्हें कच्चे माल के मोर्चे पर भी कुछ राहत मिली है। लेकिन बिक्री घटने के तीखे असर के सामने कच्चे माल की राहत कुछ खास मदद नहीं कर सकेगी। रियल एस्टेट कंपनियाँ इस मुश्किल स्थिति का सामना करने के लिए कई रणनीतियों पर काम कर रही हैं, लेकिन उनका फायदा सामने आते-आते दो-चार तिमाहियाँ निकल जायेंगीं। इसके अलावा, वे इस बात पर काफी भरोसा कर रही हैं (कम-से-कम ऐसा जता रही हैं) कि ब्याज दरें घटते ही मांग एकदम से लौट आयेगी। वास्तव में यह इस बात को नकारना है कि मांग घटने की असली वजह कीमतों का बेहिसाब ढंग से बढ़ना रहा है। जब तक कंपनियाँ समस्या की असली वजह को समझ कर उस दिशा में काम नहीं करेंगीं, तब तक मुश्किलें खत्म नहीं होंगीं।