सोने के आयात में गिरावट से भारत का व्यापार घाटा दिसंबर में घटकर 13.08 अरब डॉलर हो गया, जो 10 महीने में सबसे कम है।
निर्यात सपाट रहने से सरकार के लिए चिंताएँ और गहरी हो गयी हैं। चुनाव से पहले सरकार विकास को गति देना चाहती थी। पीएम मोदी ने भारत में विनिर्माण के लिए प्रशासनिक नियमों को आसान बनाने और बुनियादी ढाँचे के निर्माण से निर्यात को बढ़ावा देने का वादा किया था, लेकिन पिछले पाँच वर्षों में पूरा नहीं कर पाने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ता है।
2013/14 में 314.4 अरब डॉलर की तुलना में भारत का वार्षिक माल निर्यात 300 बिलियन डॉलर के आसपास रहा है, क्योंकि मोदी ने मई 2014 में कार्यभार संभाला था।
माल के निर्यात में कोई वृद्धि नहीं हुई है। इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद के प्रमुख रवि सहगल ने कहा कि अमेरिकी-चीन व्यापार तनाव और वैश्विक मंदी से शिपमेंट में कटौती शुरू हो गयी।
कुल निर्यात का पाँचवां हिस्सा योगदान देने के लिए अनुमानित इंजीनियरिंग सामानों का निर्यात दिसंबर में पिछले वर्ष की समान अवधि में 3% से अधिक घट गया था, जो गंभीर चिंता का विषय है।
व्यापार मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि दिसंबर में, व्यापारिक निर्यात एक साल पहले की तुलना में 0.34% बढ़कर 27.93 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 2.44% घटकर 41.01 अरब डॉलर हो गया।
व्यापार मंत्रालय के अधिकारियों ने पहले कहा था कि यूएस-चीन व्यापार विवाद से चीन को रसायनों, दवाओं और विद्युत मशीनरी जैसे निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक अवसर था। (शेयर मंथन, 16 जनवरी 2019)