केंद्रीय मंत्रिमंडल (कैबिनेट) ने आज सेमीकंडक्टर उत्पादन के लिए 76,000 करोड़ रुपये की छूट (इंसेंटिव) योजना को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत अगले 6 साल में 20 सेमीकंडक्टर इकाइयाँ विकसित की जायेंगी, जहाँ डिजाइन, कंपोनेंट उत्पादन और डिस्प्ले फैब्रिकेशन का काम होगा।
देश को इलेक्ट्रॉनिक्स का केंद्र बनाने की दिशा में यह सरकार का अहम कदम है। सरकार की इस नयी सेमीकंडक्टर नीति से भारत को मैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनाने में और मदद मिलेगी। सरकार ने इस योजना का नाम 'प्रोग्राम फॉर डेवलपमेंट ऑफ सेमीकंडक्टर्स एंड डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम' रखा है।
इस योजना के तहत सरकार बड़ी कंपनियों के अलावा नवांकुर (स्टार्टअप) कंपनियों को भी सेमीकंडक्टर डिजाइन के लिए छूट देगी। टेलीकॉम और सूचना तकनीक मंत्री अश्वनी वैष्णव ने जानकारी दी कि इसके तहत 85,000 सेमीकंडक्टर इंजीनियरों को प्रशिक्षण दिया जायेगा, जो चिप टू स्टार्टअप माहौल (इकोसिस्टम) के लिए काम करेंगे। इसके अलावा अश्वनी वैष्णव ने डीएलआई (डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव) के बारे में भी बताया, जिसके तहत 50% फीसदी खर्च सरकार उठायेगी। फिलहाल सरकार ने डिस्प्ले के लिए 1 या 2 इकाई, जबकि डिजाइन और कंपोनेंट उत्पादन के लिए 10 इकाइयों का लक्ष्य रखा है।
इस योजना में इस्रायल की कंपनी टावर सेमीकंडक्टर, फॉक्सकॉन के अलावा वेदांत ने भी दिलचस्पी दिखायी है। कैबिनेट के इस फैसले के बाद भारत में सेमीकंडक्टर बनाने वाली कंपनियों के शेयरों में तेज उछाल देखने को मिला, जिसमें एसपीईएल सेमीकंडक्टर (4.85%) और मोशचिप टेक्नोलॉजी (9.96%) की बढ़त के साथ बंद हुए। (शेयर मंथन, 15 दिसंबर 2021)