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आरबीआई का रेपो रेट में 0.50% बढ़ोतरी का ऐलान, महंगाई अनुमान 5.7% से बढ़कर 6.7% हुआ

भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले दो महीनों में दूसरी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी का ऐलान किया है। तीन दिनों से चली आ रही मोनेटरी पॉलिसी कमेटी ने आज एकमत से रेपो रेट में 0.50% बढ़ोतरी का फैसला लिया है।

 

भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले दो महीनों में दूसरी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी का ऐलान किया है। तीन दिनों से चली आ रही मोनेटरी पॉलिसी कमेटी ने आज एकमत से रेपो रेट में 0.50% बढ़ोतरी का फैसला लिया है। भारतीय रिजर्व बैंक के इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट बढ़कर 4.9 फीसदी हो गया है। मोनेटरी पॉलिसी में रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को भी फोकस में रखा गया है।
वैश्विक स्तर पर सप्लाई चेन में आ रही दिक्कतों के कारण महंगाई में बढ़ोतरी देखी गई है। इसके साथ ही घरेलू सालाना महंगाई का अनुमान 5.7 फीसदी के पिछले अनुमान से बढ़ाकर 6.7 फीसदी करने का फैसला किया है। इसका मतलब साफ है कि मौजूदा वित्त वर्ष में महंगाई का अनुमान आरबीआई के 6 फीसदी के लक्ष्य के ऊपरी स्तर पर बना रहेगा।
सरकार की ओर से एक्साइज ड्यूटी में कटौती से महंगाई में कमी आने की उम्मीद है। ग्रामीण मांग में धीरे-धीरे सुधार देखने को मिल रहा है। शहरी मांग में सुधार जारी है। आरबीआई के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 में क्षमता इस्तेमाल में बढ़ोतरी की उम्मीद है। सरकार और आरबीआई के बीच मोनेटरी पॉलिसी फ्रेमवर्क एग्रीमेंट के अनुसार अगर औसत महंगाई 2-6 के रेंज में लगातार तीन तिमाही तक नहीं रहता है तो यह आरबीआई की असफलता मानी जाएगी। ऐसा देखा गया है कि लागत में बढ़ोतरी को कंपनियां सेलिंग प्राइस में शामिल कर रही हैं। आरबीआई को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2022-23 के पहली तिमाही में महंगाई 6 फीसदी के ऊपरी टोलरेंस बैंड में रह सकता है। इसके साथ ही स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) भी 0.50 फीसदी बढ़कर 4.65 फीसदी, वही मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) भी 0.50 फीसदी बढ़कर 5.15 फीसदी किया गया है। आरबीआई का फोकस अकोमोडेटिव रुख से बाहर निकलने पर है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास के मुताबिक महंगाई को तय लक्ष्य के भीतर रखने को सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे।
घरेलू सालाना महंगाई का अनुमान 5.7 फीसदी के पिछले अनुमान से बढ़ाकर 6.7 फीसदी करने का फैसला किया है। FY23 की पहली तिमाही में महंगाई दर 7.5%, दूसरी तिमाही में महंगाई दर 7.4% रह सकता है। वहीं वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में महंगाई दर 6.2% तो चौथी तिमाही में महंगाई दर 5.8% रहने का अनुमान है। महंगाई दर का मौजूदा अनुमान $105/बैरल पर आधारित है। लंबी अवधि में महंगाई लक्ष्य के करीब रहने का अनुमान लगाया गया है।
मौजूदा चुनौतियों के बावजूद आरबीआई ने वित्त वर्ष 2023 के लिए जीडीपी (GDP) ग्रोथ अनुमान 7.2 फीसदी पर बरकरार रखा है। वहीं FY23 की पहली तिमाही GDP ग्रोथ 16.2%, तो दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ 6.2% रहने का अनुमान है। वहीं वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ अनुमान 4.1% तो चौथी तिमाही में GDP ग्रोथ 4% रह सकता है।
जहां तक घरेलू स्थिति का सवाल है तो वहां सुधार के संकेत साफ तौर पर दिख रहे हैं। आरबीआई गवर्नर के मुताबिक कोरोना और रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध रहने के बावजूद अर्थव्यवस्था में रिकवरी जारी है। हालाकि वैश्विक स्थिति भारत के साथ-साथ दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए भी चुनौती है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के सामान्य रहने के अनुमान से खरीफ फसलों की बुआई और कृषि उत्पादन बेहतर रहने की उम्मीद है। साथ ही सेंटिमेंट में भी सुधार देखने को मिला है। जियोपॉलिटिकल तनाव के कारण कमोडिटी कीमतों में तेजी, लागत में बढ़ोतरी और वैश्विक वित्तीय स्थितियों पर दबाव के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था में धीमापन देखने को मिल रहा है।
इसके अलावा आरबीआई ने रेकरिंग भुगतान पर इलेक्ट्रॉनिक भुगतान की सीमा 5000 रुपए से बढ़ाकर 15000 कर दिया है। रेकरिंग भुगतान के तहत सब्सक्रिप्शन, इंश्योरेंस प्रीमियम और एजुकेशन शुल्क शामिल हैं। साथ ही आरबीआई ने रुपे क्रेडिट कार्ड को यूपीआई (UPI) यानी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस से जोड़ने को मंजूरी दी है। पहले यह सुविधा केवल डेबिट कार्ड के लिए सीमित थी। शुरुआत में यह सुविधा केवल रुपे क्रेडिट कार्ड के लिए दी गई है जिसे बाद में बढ़ाकर दूसरे कार्ड के लिए भी दिया जा सकता है।
आरबीआई के मुताबिक LAF यानी Liquidity Adjustment Facility के तहत 5.5 लाख करोड़ रुपए का सरप्लस लिक्विडिटी है।
RBI का फोकस पर्याप्त लिक्विडिटी सुनिश्चित कराने पर है। हाल के वर्षों में बैंकिंग सिस्टम में सुधार देखने को मिला है। एक्सपोर्ट के मोर्चे पर भी भारत का प्रदर्शन बेहतर देखा गया है।
वहीं रुपए की स्थिति दूसरे एमर्जिंग मार्केट के मुकाबले बेहतर है। RBI मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। आरबीआई ने को-ऑपरेटिव बैंकों के लिए अहम फैसले लिए हैं जिसमें
हाउसिंग लोन लिमिट 100% बढ़ाने का फैसला लिया गया है। ग्रामीण को-ऑपरेटिव बैंक भी अब रियल एस्टेट को लोन दे सकेंगे। पेमेंट इंफ्रा डेवलपमेंट फंड स्कीम में बदलाव किया जाएगा।
मौजूदा साल में ही सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी जारी किया जाएगा। ग्रोथ, महंगाई को देखते हुए भविष्य में दरों पर फैसला किया जाएगा। MPC के फैसलों का असर 6-8 महीनों में दिखेगा
हाल के समय में लोन ऐप के जरिए हो रही धोखाधड़ी पर निवेशकों को RBI से रजिस्टर्ड लेंडिंग ऐप से ही लोन लेने की सलाह दी। साथ ही कर्ज लेते समय ग्राहकों को सतर्क रहने की सलाह दी।

(शेयर मंथन 08 जून 2022)

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