भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने रेपो रेट में 0.35% की बढ़ोतरी का ऐलान किया है। इस नई बढ़ोतरी के बाद अब रेपो रेट 5.90% से बढ़कर 6.25% हो गया है।
एमपीसी (MPC) के 6 में से 5 सदस्य दरें बढ़ाने के पक्ष में थे। जहां तक रुख का सवाल है तो एमपीसी के 6 में से 4 सदस्य अकोमोडेटिव रुख वापस लेने के पक्ष में दिखे। वहीं स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी रेट बढ़कर 6% हो गया है। मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट बढ़कर 6.50% हो गया है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा कि महंगाई अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है, हालाकि खाद्य और एनर्जी की कीमतों में मामूली कमी देखने को मिली है। बैंकों के क्रेडिट में 8 महीने से डबल डिजिट ग्रोथ जारी है। महंगाई दर के अभी भी तय लक्ष्य के ऊपर रहने के आसार दिख रहे हैं। आरबीआई के मुताबिक अगले 12 महीने तक महंगाई दर 4% के ऊपर बने रहने की संभावना है। ग्रोथ में निजी खपत, निवेश की अहम भूमिका देखी गई है। ग्रामीण मांग में सुधार देखने को मिल रहा है। निवेश की रफ्तार में सुधार देखने को मिला है। वित्त वर्ष 2023 में जीडीपी (GDP) यानी सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि अनुमान 6.8% का है। आरबीआई ने FY23 के लिए GDP वृद्धि अनुमान 7% से घटाकर 6.8% किया है। वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि अनुमान 4.6% से घटाकर 4.4% किया है। वहीं चौथी तिमाही के लिए 4.6% से घटाकर 4.2% किया गया है। वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि 7.1% रहने का अनुमान है। वहीं वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में रिटेल महंगाई दर 5% रहने का अनुमान लगाया गया है। वहीं दूसरी तिमाही में महंगाई दर 5.4% रह सकता है। वहीं वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में महंगाई दर 5.8% से बढ़कर 5.9% रहने का अनुमान लगाया गया है। वहीं पूरे वित्त वर्ष 2023 के लिए महंगाई दर अनुमान 6.7% पर बरकरार रखा गया है। आरबीआई महंगाई दर 6% से नीचे लाने के लिए प्रतिबद्ध है। लिक्विडिटी में आगे और सुधार देखने को मिलेगा। लिक्विडिटी को लेकर आरबीआई किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आने देगा। लिक्विडिटी की दिक्कत होने पर LAF यानी (Liquidity adjustment facility) लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी ऑपरेशंस के जरिए पूंजी डालेगी। वहीं मनी मार्केट का समय अब सुबह 9 से शाम 5 बजे होगा। 2 दिसंबर तक 56,120 करोड़ डॉलर का फॉरेक्स रिजर्व यानी विदेशी मुद्रा भंडार पड़ा है। आरबीआई के मुताबिक भारत का विदेशी कर्ज अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुकाबले कम है। आरबीआई ने एक अहम फैसला लेते हुए आईएफएससी (IFSC) में गोल्ड प्राइस रिस्क के हेजिंग को मंजूरी दी ही। इसका मतलब गोल्ड प्राइस रिस्क के एक्सपोजर को हेज किया जा सकेगा। वहीं भारत बिल पेमेंट की सेवाओं का दायरा और बढ़ाया जाएगा। 21 दिसंबर को MPC के मिनट्स जारी होंगे। आरबीआई के मुताबिक वैश्विक बाजारों में सुस्ती के बावजूद भारत का प्रदर्शन बेहतर है। महंगाई का सबसे खराब दौर पीछे रह गया है। आरबीआई का कहना है कि महंगाई के खिलाफ जारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। महंगाई पर अर्जुन की तरह नजर बनाए रखने की जरूरत है। आरबीआई को भरोसा है कि चालू खाता घाटा का आसानी से प्रबंधन किया जा सकेगा। फेड की दर भारत सहित दुनिया के लिए काफी अहम है। पिछले 3 साल में जरूरत के मुताबिक RBI ने कदम उठाए हैं।
कोर महंगाई के मुद्दे का समाधान करने की जरूरत पर आरबीआई ने जोर दिया है। माइकल पात्रा के मुताबिक 0.50% वाली बढ़ोतरी अब नहीं होगी, ये 0.35% बढ़ोतरी से ही साफ है। आरबीआई के इस कदम से न केवल व्यक्तिगत कर्ज बल्कि कॉरपोरेट्स के लिए भी कर्ज की लागत महंगी हो जाएगी। रेपो रेट वह दर होता है जिसपर बैंक आरबीआई से कर्ज उधार लेते हैं। आरबीआई के मुताबिक निजी खपत में बढ़ोतरी हो रही है। बैंकिंग सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी मौजूद है।
(शेयर मंथन 07 दिसंबर, 2022)