भारतीय शेयर बाजार इस समय काफी उतार चढ़ाव से गुजर रहा है, जिसका असर म्यूचुअल फंड के प्रतिफल पर भी दिखायी दे रहा है। ऐसे में म्यूचुअल फंड्स निवेश को इस अस्थिरता से बचाने और उसे सुरक्षित रखना जरूरी है। इसी प्रयास के तहत हम जानेंगे कि बाजार की अस्थिरता आपके फंड को कैसे प्रभावित करती है और इस स्थिति में आपको क्या करना चाहिए।
म्यूचुअल फंड्स पर बाजार अस्थिरता का असर
म्यूचुअल फंड में निवेश की गयी राशि शेयर, बॉन्ड्स, डिबेंचर्स समेत अलग-अलग परिसंपत्तियों में लगायी जाती है। ऐसे में अगर आपका पोर्टफोलियो विविधतापूर्ण है तो भी बाजार की अस्थिरता का असर उस पर पड़ सकता है। जैसे :
1. शेयर बाजार की गिरावट : अगर निवेश का एक बड़ा हिस्सा इक्विटी म्यूचुअल फंड में है, तो बाजार में गिरावट होने पर फंड की कीमत कम हो जायेगी। जैसे-जैसे शेयरों की कीमतें गिरती हैं, फंड की नेट एसेट वैल्यू यानी एनएवी भी कम होती जाती है।
2. ब्याज दरों का प्रभाव : जब केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता है, तो बांड्स और फिक्सिड इनकम वाले इंस्ट्रूमेंट्स वाले निवेशों की कीमत घट सकती है। इस स्थिति में ऐसे में फंड जिनके पोर्टफोलियो में हैं उन्हें नुकसान हो सकता है।
3. माँग और आपूर्ति में असंतुलन : वैश्विक स्तर पर सप्लाई चेन में संकट और बढ़ती लागत कंपनियों के मुनाफे पर असर डालती हैं। इससे फंड के रिटर्न में भी कमी आ सकती है, और फंड का प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है।
बाजार की गिरावट से निपटने के उपाय
बाजार की अस्थिरता के समय निवेशकों को अपनी रणनीति में सुधार करने की जरूरत होती है। जैसे
1. लंबी अवधि के लिए निवेश करें
म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय, विशेष रूप से इक्विटी फंड्स में, लंबी अवधि का नजरिया अपनाना चाहिए। बाजार में उतार-चढ़ाव आम बात है। लेकिन लंबे समय में इसका अक्सर फंड के प्रदर्शन पर कम पड़ता है। इतिहास गवाह है कि दीर्घ अवधि में शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड्स ने बेहतर रिटर्न दिया है, लेकिन उसके लिए धैर्य रखना जरूरी है।
2. सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी करें
सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) म्यूचुअल फंड में निवेश का एक ऐसा तरीका है, जिससे आप नियमित रूप से एक निश्चित राशि जमा कर सकते हैं। ये बाजार की अस्थिरता या गिरावट में और भी फायदेमंद हो जाता है। इस दौरान निवेश करने या जारी रखने आपको ज्यादा यूनिट मिलती है जिससे लंबी अवधि में ज्यादा रिटर्न मिल सकता है।
3. डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाएँ
म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो में विविधता जरूरी है। सिर्फ एक क्षेत्र या कंपनी में निवेश करने से बाजार की अस्थिरता से बचना मुश्किल हो सकता है। लेकिन विविधतापूर्ण पोर्टफोलियो होने पर आपकी रकम इक्विटी, डेट, हाइब्रिड और सेक्टोरल जैसे अलग अलग फंड में लगेगी। इससे गिरावट आने पर दूसरे फंड के रिटर्न से पोर्टफोलियो संतुलित हो जाता है।
4. अस्थिरता को समझें और प्रतिक्रिया न करें
बाजार की गिरावट में निवेशकों का घबराना स्वाभाविक है और वे समय से पहले अपना फंड निकालने का फैसला कर सकते हैं। उनका ये फैसला निवेश के लिए नुकसानदेह हो सकता है क्योंकि हर गिरावट में निवेश रिडीम करना जरूरी हो। लंबे समय में अधिकतर म्यूचुअल फंड फिर से ऊँचाई तक पहुँचने की क्षमता रखते हैं। इसलिए, सही फैसला लेने के लिए शांति बनाए रखना बेहद जरूरी है।
5. समीक्षा और समायोजन करें
लंबी अवधि के लिए निवेश एक अच्छा होता है। लेकिन समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो को समीक्षा करना भी जरूरी है। अगर फंड का प्रदर्शन लगातार गिर रहा हो तो पोर्टफोलियो को व्यवस्थित करने की जरूरत हो सकती है। यानि हो सकता है कि आपका उस से निकलना है बेहतर हो। इसलिए विशेषज्ञ की सलाह पर फैसला लें।
6. वैकल्पिक निवेश विकल्पों पर विचार करें
अगर आप जोखिम से बचना चाहते हैं या मौजूदा अस्थिरता के असर से कम प्रभावित होना चाहते हैं, तो आप डेट फंड्स या गोल्ड फंड्स में निवेश पर विचार कर सकते हैं। ये विकल्प बाजार के उतार-चढ़ाव से कम प्रभावित होते हैं और सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।
(शेयर मंथन, 16 जनवरी 2025)
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