
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 28 फरवरी को समाप्त हफ्ते में 1.781 अरब डॉलर की गिरावट देखी गयी है। इसके बाद देश का विदेशी मुद्रा भंडार 638.698 अरब डॉलर रह गया है। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक ने दी है। पिछले कुछ समय से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। फिलहाल, यह चार महीनों की गिरावट के बाद 11 महीने के निचले स्तर पर आ गया है।
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट दर्ज की गयी है, लेकिन कुछ हफ्तों पहले इसमें बढ़त भी देखी गयी थी। सितंबर के महीने में 704.89 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुँचने के बाद विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट देखने को मिली है। वहीं, अब ऑल टाइम हाई से इसमें 10% तक की गिरावट आ चुकी है।
जानकारों का कहना है कि विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट शायद रुपये को स्थिर करने के लिए रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप के कारण आयी है। रुपये में अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करता है। जब कभी रुपये में गिरावट आती है, आरबीआई बाजार में डॉलर बेचकर रुपये को मजबूत बनाता है।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के सबसे निम्न स्तर पर आ गया है। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद इसमें और भी गिरावट देखने को मिली है। आरबीआई की तरफ से जारी किये गये आँकड़े के मुताबिक, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ 543.350 बिलियन डॉलर थीं, जबकि स्वर्ण भंडार 73.272 अरब डॉलर का था।
इससे संकेत मिलता है कि देश के पास अभी जितना फॉरेक्स रिजर्व है, उससे 10-11 महीने आयात की भरपाई की जा सकेगी। 2023 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 58 अरब डॉलर बढ़ा था, जबकि इसके एक साल पहले यानी 2022 में 71 बिलियन डॉलर की कमी देखी गयी थी। वहीं 2024 में विदेशी मुद्रा भंडार में 20 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है।
(शेयर मंथन, 10 मार्च 2025)
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