राष्ट्रीय सांख्यिकीय विभाग के बाद वाणिज्य एवं उद्योग संगठन फिक्की ने भी वित्त वर्ष 2024-25 के लिए देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि का अनुमान पूर्व के 7% घटाकर 6.4% कर दिया है। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति दर 4.8% पर रहने का अनुमान है।
फिक्की के आर्थिक आउटलुक सर्वे के ताजा आँकड़े गुरुवार (16 जनवरी) को जारी किये गये। इनमें वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की वार्षिक औसत जीडीपी वृद्धि दर 6.4% रहने का अनुमान जताया गया है। यह सितंबर 2024 में 7% के अनुमान के मुकाबले कम है। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में 8.2% की वृद्धि दर्ज की गयी थी। इससे चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में धीमापन आने की आशंका जतायी जा रही है।
2024-25 में संबद्ध गतिविधियों सहित कृषि क्षेत्र में 3.6% की से वृद्धि होने का अनुमान है। दूसरी तरफ, इसी अवधि में उद्योग और सेवा क्षेत्रों में क्रमश: 6.3% और 7.3% की दर से बढ़ोत्तरी हो सकती है। सार्वजनिक पूँजी व्यय, त्योहारी माँग और मानसून के बाद औद्योगिक गतिविधियों के सामान्य होने से आर्थिक गतिविधियों को समर्थन मिलेगा और उसमें चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में उछाल आने की उम्मीद है।
फिक्की के आर्थिक परिदृश्य सर्वेक्षण का पहला चरण दिसंबर 2024 में आयोजित किया गया था और इसमें उद्योग, बैंक और वित्तीय सेवा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख अर्थशास्त्रियों की प्रतिक्रिया शामिल है।
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए उपभोक्त मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति का औसत पूर्वानुमान 4.8% है। यह दिसंबर 2024 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा घोषित नवीनतम मौद्रिक नीति के अनुमान के अनुरूप है। इसके अलावा सर्वेक्षण के प्रतिभागियों के अनुसार, बाहरी प्रतिकूलताओं की पृष्ठभूमि के बीच, 2025 के लिए भारत का आर्थिक दृष्टिकोण सतर्क आशावाद प्रस्तुत करता है।
(शेयर मंथन, 16 जनवरी 2025)
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