केंद्र सरकार ने बजट 2025 से पहले केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है। मोदी सरकार ने गुरुवार को 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। लंबे समय से केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को इसकी उम्मीद थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन का फैसला ऐसे वक्त में लिया है, जब इन कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का महँगाई भत्ता बढ़कर 53% हो चुका है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गये फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस बैठक में 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी गयी है।
इस आयोग को अगले साल यानी 2026 तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। जानकारी के मुताबिक, 8वें वेतन आयोग को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकारों और पीएसयू से चर्चा की जायेगी और आयोग के अध्यक्ष व दो सदस्यों के नाम की भी घोषणा जल्द की जायेगी।
7वाँ वेतन आयोग साल 2016 में लागू किया गया था और इसके 10 साल दिसंबर 2025 में पूरे होंगे। हालाँकि, इसके पहले ही सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। माना जा रहा है कि आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी, 2026 से लागू हो सकती हैं। 7वें वेतन आयोग से पहले, चौथे, 5वें और छठे वेतन आयोगों का कार्यकाल भी 10 वर्ष का था।
8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में भारी इजाफा हो सकता है। समझा जा रहा है कि इसके तहत फिटमेंट फैक्टर कम से कम 2.86 तय किया जा सकता है। ऐसे में केंद्रीय कर्मचारियों के न्यूनतम मूल वेतन में भी इसी हिसाब से बढ़ोतरी देखने को मिलेगी और ये 51,480 रुपये हो सकता है।
साल 2016 में मोदी सरकार के कार्यकाल में ही 7वें वेतन आयोग का गठन किया गया था। उसके बाद आयोग की सिफारिशें लागू होने पर मूल वेतन 18000 रुपये हो गया था। उससे पहले छठे वेतन आयोग के तहत कर्मचारियों का न्यूनतम मूल वेतन 7000 रुपये था। देखा जाये तो छठे से 7वें वेतन आयोग में आने से सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में जबरदस्त इजाफा हुआ था।
(शेयर मंथन, 17 जनवरी 2025)
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