डॉनल्ड ट्रंप के अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनने के बाद दुनिया पर एक बार फिर व्यापार युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। इसकी जद में ब्रिक्स देश भी आ सकते हैं। ब्रिक्स देशों में 10 देश आते हैं जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के अलावा मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब भी शामिल हैं।
अपने राष्ट्रपति चुनाव के एक भाषण में उन्होंने ब्रिक्स देशों पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा कहा था कि ब्रिक्स देश डी-डॉलराइजेशन पर काम कर रहे हैं और अपनी मुद्रा लाने की कोशिश में हैं। अगर उनके सत्ता में आने के बाद ऐसा हुआ तो वो उन सभी देशों पर 100% शुल्क लगा सकते हैं। ये भारत पर भी लागू हो सकता है। ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बन जाने के बाद उनके इस इरादे का सच जल्द ही सबके सामने आ सकता है। ऐसे में भारत-अमेरिका के कारोबारी संबंध पर एक नजर डालनी जरूरी है।
अमेरिका और भारत के रिश्ते
भारत में नरेद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अमेरिका के साथ व्यापारी संबंधों में काफी मजबूती आयी है। दोनों देशों के बीच वित्त वर्ष 2024 में 120 अरब डॉलर का कारोबार हुआ। आज भारत के लिए अमेरिका सबसे बड़ा व्यावसायिक साझीदार है जो भारत के कुल निर्यात में 18% हिस्सेदारी रखता है। आज अमेरिका को भारत दवा से लेकर कपड़े और मसाले तक हर चीज का निर्यात करता है। सोने और हीरों के गहनों के लिए अमेरिका भारत का सबसे बड़ा बाजार है। चीन और अमेरिका के बीच तनाव भले बढ़े लेकिन भारत के लिए स्थितियाँ हमेशा अच्छी ही रही हैं। लेकिन अमेरिका भारत पर शुल्क बढ़ाता है तो उसका असर आईटी से लेकर ऑटो समेत अन्य उद्योगों पर भी पड़ेगा।
ट्रंप के लिए नये ऐलान
राष्ट्रपति बनने के बाद डोनल्ड ट्रंप ने ये भी ऐलान किया वो एक वाह्य राजस्व सेवा (एक्सटर्नल रेवेन्यू सर्विस) विभाग बनायेंगे, जो दूसरे देशों से अमेरिका आने वाले सामानों पर शुल्क और ड्यूटी का संग्रह करेगा। ट्रंप के मुताबिक इस कदम से अमेरिका को कई अरब डॉलर आय के रूप में मिलेंगे।
आईटी कंपनियों पर पड़ेगा असर?
ट्रंप ने अपने भाषण में अमेरिका और अमेरिकियों को नौकरी में प्राथमिकता देने की बात कही थी। इसका सबसे बुरा असर भारतीय आईटी इंडस्ट्री पर पड़ सकता है, क्योंकि इसके लिए अमेरिका अपने एच-1बी वीजा के नियमों को सख्त कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो भारतीयों के लिए अमेरिका में जाकर नौकरी करना काफी कठिन हो जाएगा। वहीं, टैरिफ बढ़ने का सबसे ज्यादा असर देश की ऑटो और फार्मा इंडस्ट्री पर देखने को मिल सकता है। क्योंकि इन दोनों ही क्षेत्रों के लिए अमेरिका काफी बड़ा बाजार है।
भारत ने भी बढ़ाया था टैरिफ
जब 2018 में ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति थे तब भी उन्होंने भारत से उनके यहाँ आयात होने वाली वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ा दिया था। इसके जबाव में भारत ने भी अमेरिका से आयात होने वाले स्टील और एल्युमिनियम पर आयात शुल्क को बढ़ा दिया था। जानकारों का मानना है कि अगर ट्रंप टैरिफ बढ़ाते हैं तो ऐसा फिर हो सकता है। और इसका फायदा भारत को ही होगा। दुनिया की आपूर्ति श्रंखला में परेशानी आयेगी और भारत में विनिर्माण में निवेश की संभावना बढ़ेगी।
टैरिफ में बड़ा अंतर
विश्व बैंक के मुताबिक भारत और अमेरिका के बीच शुल्क में बहुत बड़ा अंतर नहीं है। वहीं चीन और अमेरिका के बीच ये अंतर काफी बड़ा है। इसलिए भारत के लिए अमेरिका सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है।
देश टैरिफ गैप (अंक में)
चीन 478
वियतनाम 278
इंडोनेशिया 90
भारत 25
मैक्सिको 1
(शेयर मंथन, 22 जनवरी 2025)
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