वित्त वर्ष 2025-26 के आम बजट का इंतजार देश की जनता के साथ-साथ बाजार को भी है। कल शनिवार (01 फरवरी 2025) को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार 8वीं बार बजट पेश करेंगी। यह बजट बाजार के लिए इसलिए भी खास होने वाला है शनिवार का दिन होने के बाद भी बजट के चलते शेयर बाजार खुलेंगे और उनमें नियमित कारोबार होगा।
बजट के दिन बाजार में होगा विशेष कारोबार
बीएसई और एनएसई दोनों ने बजट को लेकर एक विशेष कारोबारी सत्र का आयोजन किया है। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि इस बजट में कई क्षेत्रों के लिए ऐसी महत्वपूर्ण घोषणाएँ हो सकती हैं, जो बाजार को सीधे प्रभावित करेंगी। बजट की घोषणाओं पर बाजार की प्रतिक्रिया तुरंत देखने को मिलेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट भाषण दिन में 11 बजे शुरू होगा और उस समय बाजार खुला रहेगा। सामान्यतः शनिवार को बाजार बंद रहते हैं, लेकिन बजट की घोषणाओं के महत्व को देखते हुए एक्सचेंजों ने नियमित बाजार घंटों के अनुसार कारोबार की घोषणा की है। यानी इस शनिवार को भी बाजार सुबह 9:15 बजे खुलने वाला है और शाम 3:30 तक खुला रहने वाला है।
इन कारणों से बढ़ गया है इस बजट का महत्व
यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में फरवरी का पहला पूर्ण बजट होगा। पिछले साल लोकसभा चुनाव के चलते पूर्ण बजट जुलाई में पेश हुआ था। फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया गया था। इस बजट से बाजार की अपेक्षाएँ स्वाभाविक कारणों से ज्यादा हैं। पहला कारण कि घरेलू अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर महज 5.4% रही, जो सात तिमाहियों में सबसे कम है। इसके लिए सरकारी व्यय में कमी, निजी व्यय में कमी और उपभोग में कमी को जिम्मेदार माना जा रहा है। पिछले साल चुनाव के चलते सरकारी व्यय के प्रभावित होने की बात कही जा रही है। सरकार इस बजट में भरपाई करने का प्रयास कर सकती है। निजी कंपनियों को व्यय के लिए प्रोत्साहन के भी उपाय किये जाने की उम्मीद है। उपभोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार से ऐसे उपायों की माँग की जा रही है, जो लोगों के हाथों में खर्च करने योग्य अधिक पैसे पहुँचाने में मददगार साबित हों।
बजट से बाजार की प्रमुख उम्मीदें:
1. कर सुधार: आयकर की श्रेणियों (इन्कम टैक्स स्लैब) में बदलाव की उम्मीद की जा रही है। कुछ खबरों में यहाँ तक दावा किया जा रहा है कि सरकार 15 लाख रुपये तक की सालाना आय को करमुक्त कर सकती है। नयी कर व्यवस्था में छूट व कटौतियों के दायरे में विस्तार की भी उम्मीद की जा रही है। इसे उपभोग को बढ़ावा देने के लिए सबसे प्रभावी व आवश्यक कदम माना जा रहा है। हालाँकि कई विशेषज्ञ इसके पक्ष में नहीं हैं। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कर में छूट के उपाय को सही नहीं बताया है।
2. बुनियादी ढाँचे में निवेश और पूँजीगत व्यय: रेलवे, सड़क, रक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में बढ़ा हुआ निवेश बाजार के लिए सकारात्मक संकेत दे सकता है। यह अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए भी जरूरी है। बुनियादी ढाँचे के विकास में बढ़ी हुई भागीदारी से लंबी अवधि में आर्थिक विकास को गति मिल सकती है।
3. सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र: सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए वित्तीय सहायता और ऋण आसानी से उपलब्ध होने से रोजगार सृजन बढ़ सकता है। एमएसएमई क्षेत्र अर्थव्यवस्था के लिए इंजन का काम कर सकते हैं। ये उपक्रम भारत की विशाल आबादी के लिए रोजगार के मौकों के सृजन के साथ निर्यात के मोर्चे पर भी बड़े मददगार साबित हो सकते हैं। लेकिन इनके सामने सबसे बड़ी समस्या पूँजी की आती है। मोदी सरकार ने पुराने बजटों में भी इस पर ध्यान दिया है।
4. निवेश प्रोत्साहन: वित्त मंत्री से निवेश प्रोत्साहित करने के उपायों की भी उम्मीद की जा रही है। खासकर विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए ऐसे प्रावधानों की उम्मीद है, जो बाजार में गतिविधियों को बढ़ावा दे सकते हैं। भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों की सतत बिकवाली चिंता का विषय बनी हुई है। बजट से ऐन पहले जनवरी महीने में ही विदेशी निवेशक 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली कर चुके हैं।
5. किसानों की आय: मोदी सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना शुरू की है। इसमें किसानों को हर साल 6 हजार रुपये की सहायता दी जा रही है। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के तहत दी जाने वाली इस सहायता में राशि बढ़ाने की माँगें उठ रही हैं। यदि सरकार ऐसा करती है तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिल सकता है।
बाजार पर इन बातों से पड़ेंगे सकारात्मक प्रभाव :
- उपभोक्ता खर्च : कर में राहत से उपभोक्ता खर्च बढ़ सकता है, जिससे उपभोक्ता कंपनियों के शेयरों में उछाल आ सकती है।
- बुनियादी संरचना कंपनियों को लाभ : बढ़ा हुआ पूँजीगत व्यय बुनियादी संरचना क्षेत्र के शेयरों को बढ़ावा दे सकता है।
- विदेशी निवेश : विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के उपाय से भारतीय बाजार को दीर्घ अवधि में सहारा मिल सकता है।
- रोजगार सृजन : एमएसएमई और अन्य क्षेत्रों में निवेश से रोजगार सृजन में वृद्धि हो सकती है, जो बाजार के लिए सकारात्मक है।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था : ग्रामीण आय बढ़ाने के उपाय भी उपभोक्ता कंपनियों के लिए मददगार साबित हो सकते हैं, खास तौर पर एफएमसीजी के लिए।
बाजार पर इन बातों का पड़ सकता है नकारात्मक प्रभाव :
- अपेक्षाओं का पूरा न होना : इस बार बजट से बाजार की अपेक्षाएँ बहुत ज्यादा हैं। यदि बाजार की उम्मीदों के अनुरूप घोषणाएँ नहीं हुईं तो शेयर बाजार में गिरावट आ सकती है।
- राजकोषीय घाटा : सरकार राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के लिए अगर नये कर लाती है या व्यय में कटौती करती है, तो यह बाजार के लिए नकारात्मक हो सकता है।
- वैश्विक आर्थिक स्थिति : अभी अमेरिका में नयी सरकार आने के बाद वैश्विक आर्थिक स्थितियाँ काफी बदली हुई हैं। यदि बजट वैश्विक आर्थिक स्थिति के साथ तालमेल नहीं बिठा पाया, तो बाजार का भरोसा कम हो सकता है।
- अनिश्चितता : बजट में कोई भी अप्रत्याशित या विवादास्पद प्रस्ताव बाजार में अनिश्चितता को बढ़ा सकती है, जिससे निवेशकों की पहले से कमजोर धारणा और खराब हो सकती है।
(शेयर मंथन, 31 जनवरी 2025)
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