ब्राइटकॉम ग्रुप लिमिटेड (BGL) के शेयरों पर सेबी के अंतरिम आदेश पर शेयर बाजार के जाने-माने निवेशक शंकर शर्मा ने अपना स्पष्टीकरण सामने रखा है।
शंकर शर्मा ने आज अपने एक ट्वीट में कहा, "हमने 37.7 रुपये के भाव पर 1.5 करोड़ शेयरों के लिए कुल 56.65 करोड़ रुपये की राशि भेजने (रेमिटेंस) के सभी आवश्यक मिलान किये हुए आँकड़े (रीकन्साइल्ड डेटा) आज सेबी को सौंप दिये हैं। इसमें जो देरी हुई, वह कंपनी (ब्राइटकॉम) की ओर से बैंक के मिलान किये हुए आँकड़े लंबित रहने के चलते हुई। हम आशा करते हैं कि यह मामला जल्द निपट जायेगा।"
दरअसल कल मंगलवार को बाजार नियामक सेबी ने इस मामले में फर्स्ट ग्लोबल के वाइस चेयरमैन एवं जेएमडी शंकर शर्मा और 21 अन्य लोगों या निकायों पर भी यह प्रतिबंध लगाया है कि वे अगले आदेश तक ब्राइटकॉम ग्रुप (Brightcom Group) के अपने शेयर बेच नहीं सकेंगे। यह मामला शेयरों के प्रेफरेंशियल इश्यू के माध्यम से पैसों की हेराफेरी की ओर जा रहा है, जिसे आम तौर पर लोग राउंड ट्रिपिंग कहते हैं।
सेबी ने इस मामले में यह पाया है कि शंकर शर्मा और अन्य लोगों या निकायों को प्रेफरेंशिल शेयरों को जारी करने से जितना पैसा ब्राइटकॉम ग्रुप को मिला हुआ दिखाया गया, वास्तव में उतने पैसे ब्राइटकॉम ग्रुप के खातों में नहीं आये। सेबी को संदेह इस बात का भी है कि जिन निवेशकों को प्रेफरेंशियल शेयर जारी किये गये, उनसे मिली राशि में से कुछ हिस्सा क्या वापस उन्हें किसी और तरीके से लौटा दिया गया?
बीजीएल ने 2020-21 और 2021-22 के दो वित्त-वर्षों में चार बार प्रेफरेंशियल इश्यू के जरिये शेयरों और वारंटों को जारी करके कुल 867.78 करोड़ रुपये जुटाये थे। इन प्रेफरेंशियल इश्युओं के 82 आवंटियों में एक नाम शंकर शर्मा का भी है। बीजीएल ने शंकर शर्मा को 37.77 रुपये के भाव पर 1.50 करोड़ वारंट जारी किये थे, यानी इसमें उनका कुल निवेश 56.66 करोड़ रुपये का था। शंकर शर्मा को यह आवंटन चौथे एवं अंतिम प्रेफरेंशियल इश्यू में किया गया था। ये 1.50 करोड़ वारंट 9 मार्च 2022 को शेयरों में परिवर्तित (कन्वर्ट) किये गये।
सेबी ने अपने आदेश के पैरा 8 में बताया है कि बीजीएल ने इन प्रेफरेंशियल इश्युओं के 22 आवंटियों (एलॉटी) को 25.77 शेयर 245.24 करोड़ रुपये में जारी किये गये थे, लेकिन कंपनी को केवल 52.51 करोड़ रुपये मिले। बाकी 192.73 करोड़ रुपये की राशि या तो कंपनी को मिली ही नहीं, या सहायक कंपनियों और बिचौलियों (कॉन्डुइट) को शामिल कर लेन-देन के कई स्तरों के माध्यम से उक्त आवंटियों को वापस लौटा दी गयी। बाकी 60 आवंटियों के मामले में सेबी अभी छानबीन कर ही रहा है।
इन 22 आवंटियों की सूची में शंकर शर्मा का भी नाम है। सेबी के अनुसार बीजीएल को शंकर शर्मा से 56.66 करोड़ रुपये मिलने थे, लेकिन वास्तव में 39.98 करोड़ रुपये ही मिले और इस तरह 16.67 करोड़ रुपये की कमी रह गयी। हालाँकि बीजीएल ने सेबी को जो विवरण सौंपे थे, उनमें 56.66 करोड़ रुपये की पूरी राशि चार अलग-अलग भुगतान के जरिये मिलने की बात कही गयी थी। ये भुगतान अक्टूबर-नवंबर 2021 और मार्च 2022 में होने की जानकारी दी गयी थी। भुगतान अबूधाबी कमर्शियल बैंक के चार अलग-अलग चेक नंबरों से किये जाने की बात कही गयी थी। लेकिन बीजीएल ने सेबी के बार-बार माँगने पर भी इन भुगतानों के दस्तावेजी प्रमाण नहीं दिये।
बीजीएल के बैंक खातों की जाँच में सेबी ने पाया कि शंकर शर्मा के इंडसइंड बैंक खाते से बीजीएल को जुलाई से नवंबर 2022 के बीच अलग-अलग तारीखों में 25.79 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। ये पैसे बीजीएल के इक्विटास फाइनेंस बैंक एवं एचडीएफसी बैंक में मौजूद खातों में गये। इसके अलावा, शंकर शर्मा ने सेबी को जानकारी दी कि उन्होंने वारंट की आवेदन राशि के रूप में 14.19 करोड़ रुपये बीजीएल के एचडीएफसी बैंक खाते में जमा किये थे। हालाँकि सेबी अभी इस भुगतान की पुष्टि नहीं कर पाया है। लेकिन इसे जोड़ने के बाद भी शंकर शर्मा की ओर से बीजीएल को 56.66 करोड़ रुपये के बदले केवल 39.98 करोड़ रुपये के भुगतान का ही विवरण मिलता है। इस तरह से बीजीएल ने शंकर शर्मा से मिली राशि के बारे में झूठी जानकारी दी थी। वहीं बीजीएल ने शंकर शर्मा से मिले भुगतानों की तारीखें 29 अक्टूबर 2021 से 9 मार्च 2022 तक की बतायीं, लेकिन उसके बैंक खातों में शंकर शर्मा से मिले भुगतान की तारीखें 11 जुलाई 2022 से 28 नवंबर 2022 तक की हैं।
सेबी ने इस आदेश के पैरा 76 में कहा है कि शंकर शर्मा से उनके द्वारा वारंट/शेयरों के आवंटन के लिए बीजीएल को किये गये भुगतानों के बारे में सूचनाएँ और दस्तावेज हासिल करने के बार-बार प्रयास किये गये, लेकिन शंकर शर्मा ने अभी तक पूरी सूचनाएँ और दस्तावेज सेबी को नहीं सौंपे हैं। सेबी ने इस संबंध में शंकर शर्मा को भेजे अपने 10 ईमेल और सम्मन की सूची दिखायी है।
अब शंकर शर्मा की ओर से पूरे भुगतान के विवरण सेबी को सौंप देने के ताजा बयान पर यह देखना होगा कि सेबी उनके द्वारा सौंपे गये विवरणों से कितना संतुष्ट होता है। वहीं ब्राइटकॉम और इसके प्रमोटरों को गलतबयानी यानी झूठे दस्तावेज सेबी को सौंपने और प्रेफरेंशियल इश्यू की राशि के गोलमाल के आरोपों पर अपने जवाब देने हैं। इन आरोपों पर सेबी जब अपना अंतिम आदेश पारित करेगा, तब जा कर स्थिति और स्पष्ट हो सकेगी। (शेयर मंथन, 23 अगस्त 2023)
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