राजीव रंजन झा : साल 2012 ने शेयर बाजार को अनुमानों से कहीं ज्यादा लाभ दिया, क्योंकि दिसंबर 2011 के अंत में निफ्टी (Nifty) की एक नयी तलहटी बनते समय कम ही लोगों ने अगले एक साल में निफ्टी में 28% की बढ़त की उम्मीद की होगी।
बेशक, 2012 की पहली छमाही उतार-चढ़ाव वाली रही। पहले निफ्टी दिसंबर 2011 की तलहटी 4531 से फरवरी 2012 के शिखर 5630 तक गया और फिर पलट कर 4 जून को 4770 तक फिसल गया। इसके बाद से जरूर यह एक चढ़ती पट्टी के अंदर चलते हुए 6000 के दरवाजे पर दस्तक देने आया, भले ही यह दरवाजा अभी इसके लिए खुला नहीं।
अब अमेरिकी फिस्कल क्लिफ की आशंकाओं-उम्मीदों के बीच नये साल में भारतीय शेयर बाजार की संभावनाएँ कैसी रहेंगी? मुझे नहीं पता कि जिस फिस्कल क्लिफ की चर्चा पूरे दिसंबर भर में सारी दुनिया के बाजारों में चलती रही, उसका 2-3 महीनों बाद कोई महत्व बाकी रहेगा या नहीं। वैश्विक बाजारों के लिए महत्व इस बात का रहेगा कि अमेरिका, यूरोप और ब्रिक्स देशों, खास कर चीन और भारत की अर्थव्यवस्थाओं की दशा-दिशा कैसी रहेगी। भारतीय शेयर बाजार के लिए खास महत्व इस बात का रहेगा कि 2012-13 की दूसरी छमाही पहली छमाही की तुलना में बेहतर नजर आती है या नहीं, क्योंकि तभी यह स्पष्ट हो सकेगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपनी तलहटी पार कर ली है या नहीं।
निफ्टी की हस्त-रेखाएँ देखने से ऐसा लगता है कि साल 2013 काफी उठापटक वाला हो सकता है। इकतरफा तेजी या गिरावट के बदले दोनों तरफ बड़ी-बड़ी चाल दिख सकती है। इसलिए 2013 के अंत में नफा-नुकसान कितना रहेगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। लेकिन किस-किस तरह की सूरत बन सकती है, इसका आकलन करने से उन स्थितियों के लिए तैयार रहने में मदद मिलेगी।
सबसे पहले उन दो पट्टियों की कहानी, जिनकी चर्चा मैंने बीते कई महीनों से बार-बार की है। अब तक निफ्टी इन दोनों पट्टियों के अंदर ही चल रहा है। इन दोनों में जो बड़ी पट्टी है, वह अगस्त 2011 में ही शुरू हुई थी। इसकी ऊपरी रेखा अक्टूबर 2011 और फरवरी 2012 के शिखरों को मिलाती है और निचली रेखा दिसंबर 2011 और मई-जून 2012 की तलहटियों को छूती है। ऐसा लगता है कि निफ्टी इस बड़ी पट्टी की ऊपरी रेखा को छूने की ओर बढ़ रहा है। यह ऊपरी रेखा जनवरी 2013 के अंत में करीब 6300 पर होगी।
इसी बड़ी पट्टी के अंदर जो छोटी पट्टी चल रही है, वह जून 2012 से अब तक की चाल दिखाती है। इस छोटी पट्टी की ऊपरी रेखा भी जनवरी 2013 के अंत में करीब 6300 पर ही होगी। ये दोनों पट्टियाँ कहती हैं कि 2013 के बजट से पहले की तेजी में निफ्टी अपने पिछले ऐतिहासिक शिखर 6357 को छू सकता है या उसके आसपास तक जा सकता है।
अब हम जरा जनवरी 2008 में इस ऐतिहासिक शिखर 6357 से अक्टूबर 2008 की तलहटी 2253 की वापसी वाली संरचना को देखें। इसमें स्पष्ट है कि नवंबर 2010 में निफ्टी ने इस गिरावट की लगभग 100% वापसी कर ली, लेकिन इसके आगे नहीं जा सका और नीचे फिसल गया। लेकिन उस फिसलन में निफ्टी ने 6557-2253 की 50% वापसी के स्तर 4305 को नहीं छुआ और उससे पहले ही दिसंबर 2011 में 4531 पर नयी तलहटी बना कर फिर से ऊपर चला। अब 4531 से वापस सँभलने के बाद इसने सीधे 80% वापसी के स्तर 5536 को भी पार किया और फरवरी में 5630 तक चढ़ा। वहाँ से पलट कर दौरान इसने 61.8% वापसी के स्तर 4789 के पास ही 4770 पर एक नयी ऊपरी तलहटी बनायी। इसके बाद की नयी उछाल में यह 5965 के स्तर तक आ गया। इस उछाल में निफ्टी ने 80% वापसी के स्तर 5536 पर बाधा झेलने के बदले इसे एक तेज अंतराल (बुलिश गैप) के साथ पार किया। यह संरचना भी कहती है कि निफ्टी को एक बार फिर 100% वापसी के स्तर, यानी 6357 को छू लेना चाहिए।
लेकिन दूसरी ओर एक नयी गिरती पट्टी की संभावना से खतरे का डर पैदा होता है। इस पट्टी की निचली रेखा मई 2010 की तलहटी 4786 और दिसंबर 2011 की तलहटी 4531 को मिलाने पर बनती है, जबकि ऊपरी रेखा नवंबर 2010 के शिखर 6339 और अभी दिसंबर 2012 के शिखर 5965 को मिलाने पर बनती है। अगर निफ्टी को इस पट्टी के हिसाब से चलना है, तो फिर अगले 2-4 हफ्तों में इसे 6339-5965 को मिलाती ऊपरी रेखा को पार नहीं करना चाहिए। अगर पार करे भी तो इससे ज्यादा ऊपर नहीं जाना चाहिए और कुछ छकाते हुए वापस पलट कर इसके नीचे आ जाना चाहिए।
अगर निफ्टी ने ऐसा किया तो इसके फलितार्थ खतरनाक होंगे। लेकिन अगर यह अपनी मौजूदा चाल में 6000 से नीचे रुकने के बदले 6100-6300 की ओर बढ़ जाये और वापस किसी नरमी में 6339-5965 की रुझान रेखा के नीचे नहीं जाये, तो यह खतरनाक आशंका कट जायेगी।
दरअसल इस नयी पट्टी के हिसाब से निफ्टी के चलने का मतलब यह होगा कि 6339 से 4531 तक की गिरावट को यह दोहराने की कोशिश करेगा। ताजा शिखर 5965 से ऐसी गिरावट इसे वापस करीब 4100-4200 तक लुढ़का सकती है।
लेकिन बाजार ऐसे खतरनाक ढंग से फिसलने वाला है, इस बात की पुष्टि कब होगी? आखिर अभी तक को निफ्टी ने अपनी चाल टूटने का कोई खास संकेत नहीं दिया है। दरअसल ऐसी खतरनाक संभावना की पुष्टि मौजूदा स्तरों से ठीक-ठाक नीचे 5500 टूटने पर ही होगी। एक कारोबारी के लिए मौजूदा स्तर से 400 अंक नीचे पड़ा खतरे का निशान ज्यादा सांत्वना नहीं देता! लेकिन सच तो यही है कि जब तक नवंबर 2012 में बनी ऊपरी तलहटी 5548 को न तोड़े, तब तक ऊपरी तलहटी की संरचना खत्म नहीं होगी और लंबी/मध्यम अवधि की तेजी का दौर भी खत्म नहीं होगा। साथ ही 6339-2253 की गिरावट की वापसी में 80% का स्तर 5536 कटे बिना हम इससे नीचे की गिरावट की बात कैसे सोचें? इन दोनों बड़ी संरचनाओं में लगभग 5500 से पहले कोई ऐसा बड़ा बिंदु नहीं दिखता, जिस पर हम खतरे का निशान लगा दें।
डर गये? चलिए, खतरे की घंटी कुछ ऊपर रख लेते हैं। आप 50 दिनों का सिंपल मूविंग एवरेज देखते रहें। अभी दिसंबर 2012 के अंत में यह 5763 पर है। इसके कटने का मतलब यह होगा कि कम-से-कम मध्यम अवधि के लिए निफ्टी की चाल टूट गयी है। इसके नीचे 200 दिनों के एसएमए पर नजर रखें, जो अभी 5386 पर है। इसे काटे बिना निफ्टी 4100-4200 तक नहीं जा सकता। तकनीकी चार्ट नहीं मानें तो भी गणित के लिहाज से ही संभव नहीं है!
दरअसल साल 2013 का राजनीतिक चक्र भी इस संभावना का कारण बन सकता है। अगले लोकसभा चुनाव समय से पहले होने का डर बाजार में कम हो गया है। अब बाजार यही मान कर चल रहा है कि चुनाव 2014 में तय समय के आसपास ही होंगे। राजनीतिक उतार-चढ़ाव की आशंका दूर खिसक जाने के चलते बाजार में ज्यादातर विश्लेषकों को अभी तेजी जारी रहने की संभावना दिखने लगी है। लेकिन अगर बाजार का यह आकलन सही भी है, तो 2013 का अंत करीब आते-आते उसे यह राजनीतिक भूत अपने सिर पर सवाल दिखेगा। इस भूत का असर हमें बाजार में समय से कुछ पहले ही नजर आने लगेगा। अगले चुनाव जब भी होंगे, उससे करीब छह महीने पहले ही बाजार के मन में इस भूत का डर बैठ जायेगा। लिहाजा अगर हम 2014 की पहली छमाही में किसी समय चुनाव होने की संभावना लेकर चलें तो दिसंबर 2013 आते-आते बाजार पर चुनावी खौफ सवार हो चुका होगा। यह संभावित गिरती पट्टी उस चुनावी खौफ से जुड़ती है। अगर निफ्टी 6339 से 4531 तक की गिरावट को करीब उतने ही समय में दोहराये तो वह इस नयी गिरती पट्टी की निचली रेखा को जनवरी 2014 में 4100-4200 के आसपास छुएगा।
निफ्टी की मौजूदा चाल 6000 से पहले रुक जाने का एक और कारण बन सकती है 6339 से 4531 तक की गिरावट की वापसी वाली संरचना। इसमें 80% वापसी 5978 पर है। इसलिए अगर निफ्टी 6000 के आसपास ही अटक कर नीचे फिसले और 6339-4531 की गिरावट की 61.8% वापसी के स्तर 5648 पर सहारा न मिले तो यह ज्यादा बड़ी गिरावट का संकेत होगा। लेकिन अगर निफ्टी 6000 को ठीक से पार कर ले तो इस संरचना में 100% वापसी करने यानी 6339 के आसपास जाने की उम्मीद बन जायेगी। इसका ऐतिहासिक शिखर 6357 इससे दूर नहीं होगा।
अगर इस साल किसी समय निफ्टी ने 6357 के ऐतिहासिक शिखर को पार कर लिया, तो उससे आगे के किन लक्ष्यों पर नजर होगी? इन लक्ष्यों को भी जरा दिल थाम कर पढ़ें, क्योंकि 6357-2253 की 100% वापसी पूरी करने के बाद 161.8% वापसी तो सीधे 8893 पर है! इससे कुछ मिलता-जुलता लक्ष्य हमें 2253 से 6339 तक की उछाल और फिर 4531 तक गिरावट की संरचना के प्रोजेक्शन को देखने पर मिलता है। इस प्रोजेक्शन में 100% का स्तर लगभग 8650 पर है। उतनी दूर की बात अभी न भी करें तो इस प्रोजेक्शन में 23.6% का स्तर (करीब 5500) पार होने के बाद 38.2% का अगला स्तर 6100 पर है। अगर 6100 पार हो सका तो 50% का स्तर 6600, जबकि 61.8% का स्तर 7100 पर होगा। वहीं अगर 6339-4531 की वापसी देखें तो 100% वापसी यानी 6339 के ऊपर जाने के बाद 161.8% वापसी का स्तर 7457 पर होगा।
इतनी तरह की संरचनाएँ और उनके इतने अलग-अलग निष्कर्ष – आपसे पहले तो मेरा सिर चकरा रहा है। इन सबको एक सूत्र में पिरोना जरूरी है।
पहले मजबूती के सूत्र देखते हैं। अगर निफ्टी 5965 को पार करे और 6000 के ऊपर निकलने लगे तो गिरावट की चिंताओं को तब तक किनारे रख दें, जब तक बाजार नीचे पलटने के संकेत न देने लगे। निफ्टी 6000 के ऊपर मजबूती से टिकने पर 6150 और 6350 के आसपास जाने की उम्मीद रखें।
अगर 6350 भी पार हो जाये तो इस तेजी के साथ चलें, लेकिन 6500-6600 के आसपास सावधान हो जायें। साल 2013 में इसके ऊपर जा सकने का कोई कारण अभी नहीं दिख रहा।
अब कमजोरी के सूत्र। अगर निफ्टी 5965 को पार किये बिना, या इसके ऊपर जाने के बाद भी 6000 के आसपास अटकने के बाद 50 एसएमए के नीचे फिसले तो इसे बाजार की चाल टूटने का साफ संकेत मानें।
अगर 50 एसएमए टूट जाये तो 5648 के आसपास सहारा मिलने कुछ उम्मीद रखें, लेकिन अगर यह भी टूट जाये तो करीब 5400 तक की गिरावट की संभावना लेकर चलें।
अगर 5400 टूटे तो 5000-4800 अगले पड़ाव होंगे। अगर 4800 भी सहारा न दे तो 4100-4200 की आशंका को सच के करीब मानें।
इस नये साल में बाजार आपको मजबूती और कमजोरी की संभावनाओं के बीच झुलाता रहेगा। आपके लिए यह तय करना आसान नहीं होगा कि बाजार वाकई किस संभावना की ओर बढ़ रहा है। लेकिन मुझे इस बात में शक नहीं है कि बाजार अभी चाहे जितना बढ़ जाये, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले के कुछ महीनों के दौरान ही बाजार अपनी बढ़त का बड़ा हिस्सा गँवा देगा। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 01 जनवरी 2013)
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