शीर्ष अदालत ने कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई करते हुए कल 4 बजे कर्नाटक विधानसभा में शक्ति परीक्षण करने का फैसला सुनाया है।
कांग्रेस ने अपनी याचिका में राज्य के गवर्नर वजुभाई वाला के उस फैसले पर सवाल उठाये थे, जिसमें उन्होंने बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की स्वीकृति दी थी। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में शक्ति परीक्षण के लिए गुप्त वोटिंग के तरीके को खारिज करते हुए कहा है कि डीजीपी को शक्ति परीक्षण के लिए पुख्ता इंतजाम करने के लिए निर्देश दिये जायेंगे। मामले में कांग्रेस का पक्ष अभिषेक मनु सिंघवी और बीएस येदियुरप्पा का पक्ष पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी रख रहे थे।
आदालत ने शक्ति परीक्षण को सर्वश्रेष्ठ विकल्प बताते हुए कहा कि गवर्नर का फैसला सही था या गतल यह न्यायालय तय करेगा। गौरतलब है कि 12 मई को हुए कर्नाटक में विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 38 सीटें मिली थीं। 15 मई को नतीजे पूरे आने से पहले ही कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देने की घोषणा कर दी, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री एचडीए देवगौड़ा की पार्टी ने स्वीकार भी कर लिया। दोनों पार्टियाँ मिल कर बहुमत का आँकड़ा छू रही थी, मगर सरकार बनाने के लिए जरूरी एमएलए की संख्या न होने के बावजूद बीजेपी ने भी बहुमत होने का दावा किया। दोनो पक्षों ने सरकार बनाने के लिए राज्य गवर्नर को पत्र सौंपा, जिसमें वजुभाई वाला ने भाजपा को सरकार बनाने के साथ ही बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री की शपथ दिलवा दी।
इसी फैसले के खिलाफ कांग्रेस ने शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिस पर आज फैसला आ गया है। मुकुल रोहतगी ने शक्ति परीक्षण के लिए 7 दिनों की माँग की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। बता दें कि इस मामले में विधानसभा सदस्यों के खरीद-फरोख्त की खबरें भी आयीं, जिसके चलते कांग्रेस और जेडीएस ने अपने लगभग सभी एमएलए को हैदराबाद भेज दिया है। (शेयर मंथन, 18 मई 2018)