एनडीए को आज एक जोरदार झटका लगा है। 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीए का हिस्सा बने आरएलएसपी सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए से अपना गठबंधन तोड़ लिया है।
इसके साथ उन्होंने अपने मंत्री पद से इस्तीफा भी प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दिया है।
इस्तीफा सौंपने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने प्रेस कान्फ्रेंस करके कहा कि मोदी जी बिहार की जनता की आशाओं पर खरा नहीं उतरे हैं। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के बारे में कुछ भी नहीं किया गया। बिहार जहां पर पहले था, वहीं पर आज भी है। बिहार में शिक्षा और स्वास्थ्य को मानो लकवा मार गया है। बिहार के लिए मोदी सरकार ने कुछ नहीं किया। बिहार को लग रहा था कि सचमुच अच्छे दिन आयेंगे, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुयी है।
उपेंद्र कुशवाहा बिहार में आम चुनाव 2019 में सीट बंटवारे को लेकर नाखुश चल रहे थे।
उन्होंने हाल ही में लोकसभा चुनाव 2019 के लिए भाजपा के सीट बंटवारे के फॉर्मूले को ठुकराते हुए कहा था कि अगर 30 नवंबर तक सम्मानजनक फैसला नहीं हुआ, तो हमारी पार्टी अपना फैसला खुद लेगी। साथ ही उन्होंने कहा था कि सीट को लेकर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छोड़कर अन्य किसी से बात नहीं करूँगा।
इससे पहले आंध्र प्रदेश की तेलुगू देशम पार्टी जो पहले एनडीए का हिस्सा थी, वह आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की बात को लेकर एनडीए से अलग होने का ऐलान कर दिया था। अब टीडीपी के मुखिया चंद्रबाबू नायडु भाजपा को हराने की मुहिम में शामिल हो गये हैं और महागठबंधन के नेताओं को एकजुॉ करने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
इस तरह से एनडीए को यह दूसरा बड़ा झटका लगा है। सूत्रों की मानें तो अभी कुछ और मौसम विज्ञानी नेता एनडीए से अलग होकर महागठबंधन में शामिल होने की ताक लगाये बैठे हैं। वे केवल सत्ता सुख के लिए अभी बने हुए हैं। जिस दिन चुनाव की तारीखों का ऐलान होगा, उसके आसपास कई और पार्टियां एनडीए से अलग होने का ऐलान कर सकती हैं।
इसके पूर्व शिवसेना भी भाजपा के साथ मिलकर चुनाव न लड़ने का ऐलान कर चुकी है। हालांकि, वह अभी भी महाराष्ट्र में और केंद्र में सरकार में शामिल है। (शेयर मंथन, 10 दिसंबर 2018)