भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने मर्चेंट बैंकरों की खिंचाई करते हुए कहा है कि वे आईपीओ (IPO) के तहत शेयरों की कीमत तय करते हुए केवल कंपनियों का हित देखते हैं।
सेबी के चेयरमैन सी बी भावे ने कहा है कि मर्चेंट बैंकरों को कंपनियों को ज्यादा से ज्यादा रकम जुटाने के बजाय निवेशकों के हितों का भी ध्यान रखना चाहिए। सी बी भावे ने शुक्रवार को मर्चेंट बैंकरों के एक सम्मेलन में कई अहम मसलों पर बात की। इस सम्मेलन में उनकी कुछ खास टिप्पणियाँ:
- आईपीओ लाने वाले निवेशकों के लिए अपने निवेश पर बढ़त की ज्यादा गुंजाइश नहीं छोड़ रहे हैं। इसी कारण शेयर बाजार में तेजी के बावजूद पब्लिक इश्युओं में खुदरा निवेशकों की भागीदारी कम है।
- अगर निवेशकों को आईपीओ में पैसा लगाने से मुनाफा नहीं मिलता तो इससे मर्चेंट बैंक की साख पर भी असर पड़ता है।
- यथार्थ से दूर इश्यू भावों से आखिरकार निवेशकों के उत्साह पर असर पड़ सकता है और वे शेयर बाजार से दूर हो जा सकते हैं।
- इश्यू भावों पर सेबी किसी समाधान का सुझाव नहीं देगा। मर्चेंट बैंकरों को खुद ही कोई प्रक्रिया चुननी होगी।
- आईपीओ के मसौदा दस्तावेज (DRHP) और विज्ञापनों में एक जैसी जानकारी होनी चाहिए।
- आईपीओ के विज्ञापनों पर सेबी के नियम कड़े होंगे।
- आईपीओ बंद होने के बाद लिस्टिंग का समय 12 दिन से घटाकर 7 दिन करने पर विचार।
- विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) और उनके सब अकाउंट की योजनाओं में 1 अक्टूबर से कम-से-कम 20 निवेशक जरूरी होंगे। सेबी इस नियम के पालन की समय-सीमा नहीं बढ़ायेगा।
- सेबी सत्यम घोटाले की जांच में तेजी लायेगा। सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के पूर्व चेयरमैन बी राम लिंग राजू से भी अब सेबी की पूछताछ हो सकेगी।
- एमसीएक्स-एसएक्स (MCX-SX) पर सेबी का आदेश: सभी को दिशानिर्देशों (Guidelines) का पालन करना होगा। (शेयर मंथन, 25 सितंबर 2010)
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