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गोल्डमैन के साथ चलें या क्रेडिट सुइस के - 7,000 या 5,600?

भारतीय शेयर बाजार को लेकर इस समय दो वैश्विक संगठनों के अनुमान एक तरह से अलग-अलग धाराओं के प्रतिनिधि के रूप में दिख रहे हैं।
एक तरफ गोल्डमैन सैक्स ने साल 2013 के अंत में निफ्टी के लिए अपने लक्ष्य को 6,600 से बढ़ा कर 7,000 कर दिया है, तो दूसरी ओर क्रेडिट सुइस ने दिसंबर 2013 में निफ्टी का लक्ष्य 5,600 माना है। एक-बारगी सुनने में ऐसा लगता है मानो गोल्डमैन सैक्स ने काफी ऊँचा लक्ष्य दे दिया है, और क्रेडिट सुइस ने काफी नीचे का। लेकिन क्या वाकई ऐसा है? निफ्टी जनवरी 2013 की शुरुआत में 6,000 के आसपास है और 7,000 का स्तर इससे केवल करीब 17% दूर है। बीते साल ही निफ्टी ने करीब 28% की बढ़त हासिल की है। ऐसे में 17% सालाना बढ़त का लक्ष्य क्या वास्तव में इतना बड़ा और महत्वाकांक्षी लक्ष्य है? दरअसल 7,000 का लक्ष्य ज्यादा बड़ा लगना इस बात का संकेत है कि बाजार में एक अविश्वास कायम है और लोग ज्यादा ऊँचे स्तरों की इच्छा भले रखते हों, लेकिन मानसिक रूप से इसके लिए तैयार नहीं हैं। 
दूसरी ओर क्रेडिट सुइस ने 5,600 का जो लक्ष्य दिया है, वह मौजूदा स्तर से कितनी गिरावट की संभावना दिखाता है? महज 6-7% नीचे ही तो है 5,600 का स्तर? क्या कोई शेयर बाजार ऐसा हो सकता है, जिसमें इतनी गिरावट का जोखिम भी न हो? मोटे तौर पर केवल 20% उतार-चढ़ाव का यह दायरा लोगों को ऊपर और नीचे दोनों सिरों पर क्यों चौंका रहा है? आखिर भारतीय बाजार में तो कभी 40%, तो कभी 70% उछाल वाले साल भी आते रहे हैं! दरअसल इसके लिए बीते 5 सालों में निवेशकों को लगी आर्थिक और मानसिक चोटों को जिम्मेदार कहा जा सकता है। इसीलिए बीते साल विश्व के तमाम अन्य बाजारों की तुलना में ज्यादा तेज चलने के बावजूद नये साल की शुरुआत में भारतीय बाजार कुछ छुईमुई-सा लग रहा है – थोड़ी-सी गिरावट से भी डर जाने वाला बाजार, ज्यादा ऊपर की बातें नहीं सोच पाने वाला बाजार। 
साल 2013 की संभावनाओं के बारे में शेयर मंथन ने बाजार के शीर्ष विश्लेषकों का जो सर्वेक्षण किया है, उसमें भी एक तरफ तो निफ्टी के लिए 7,000 से 7,500 तक की तेजी के लक्ष्य मिल रहे हैं, दूसरी ओर नीचे 5,000-4,800 तक फिसलने के अंदेशे भी सुनाई दे रहे हैं। दरअसल अगर निफ्टी साल में भर 7,500 तक चढ़ा, तो भी यह एक तरह से 2012 के प्रदर्शन को दोहरायेगा ही, कोई बहुत बड़ी उछाल हासिल नहीं कर लेगा, क्योंकि 6,000 के स्तर 7,500 तक की उछाल दरअसल 25% की बढ़त होगी। वहीं अगर यह फिसल कर 4,800 पर भी चला गया तो मौजूदा स्तर से यह करीब 20% की गिरावट होगी। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 08 जनवरी 2013)

 

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