ऐसा लगता है कि वैश्विक और घरेलू कारकों की वजह से भारतीय शेयर बाजार में तीखी उथल-पुथल रहेगी।
बाजार में एफआईआई निवेश, कारोबारी विश्वास और निवेशकों के विश्वास में सुधार के लिए घरेलू आर्थिक सुधारों की गति और सरकार की ओर से योजनागत व्यय महत्वपूर्ण कारक हो सकते हैं।
अभी चिंता यह है कि घरेलू सुधारों की चाल मंद है और साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था भी डाँवाडोल है। कच्चे तेल की कीमतें, विश्व बाजार में कमोडिटी की कीमतें और एफआईआई निवेश के प्रवाह को लेकर भी चिंताएँ हैं। वहीं स्थायी सरकार और अपेक्षाकृत उच्च कारोबारी विश्वास बाजार के लिए सकारात्मक पहलू हैं। निपुण मेहता, सीईओ, ब्लूओशन कैपिटल एडवाइजर्स (Nipun Mehta, CEO, Blueocean Capital Advisors)
(शेयर मंथन, 09 जनवरी 2015)