पी. के. अग्रवाल, निदेशक, पर्पललाइन इन्वेस्टमेंट
फिलहाल निकट भविष्य या अगले छह महीनों में भारतीय शेयर बाजार के लिए बड़ी संभावनाएँ दिखती हैं, मगर काफी अड़चनें भी हैं। बाजार की चाल इस पर निर्भर करेगी कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर (जीडीपी) कैसी रहती है।
फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में वृद्धि का अब कुछ खास असर नहीं होगा। मगर बैंकों के एनपीए, अर्थव्यवस्था में धीमा सुधार, आर्थिक सुधारों की धीमी गति, संसद में गतिरोध जैसी चिंताएँ हैं। अच्छी बात यही है कि कच्चे तेल और कमोडिटी के भाव काफी नीचे चल रहे हैं। (शेयर मंथन, 08 जनवरी 2016)