शेयर बाजार के फ्यूचर ऐंड ऑप्शंस (एफऐंडओ) सौदों में तकरीबन 93% यानी 10 में 9 कारोबारियों को घाटा हुआ। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्ययन में पाया गया है कि वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2024 के बीच एफऐंडओ सौदे करने वाले कारोबारियों को 1.8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
जहाँ वायदा कारोबार में वैयक्तिक (इंडिविजुअल) स्तर पर ट्रेडर्स ने नुकसान उठाया है वहीं विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) और प्रोपराइटरी कारोबारियों ने मुनाफा बनाया है। सेबी के अध्ययन में कहा गया है, ‘वित्त वर्ष 2022-वित्त वर्ष 2024 के दौरान 1.13 करोड़ यूनीक इंडीविजुअल ट्रेडर (एफऐंडओ श्रेणी के) को एफऐंडओ में 1.81 लाख करोड़ रुपये का संयुक्त शुद्ध घटा (यानी लेनदेन लागत समेत व्यापारिक नुकसान) हुआ है।’
अकेले वित्त वर्ष 2024 में कारोबारियों को निजी स्तर पर 75,000 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है। घाटा उठाने वाले 1 करोड़ से अधिक कारोबारियों (वैयक्तिक ट्रेडरों के 92.8%) के 3 साल की अवधि में औसतन प्रति व्यक्ति 2 लाख रुपये डूब गये। शीर्ष 3.5% नुकसान झेलने वालों या तकरीबन 4 लाख कारोबारियों ने 3 साल में प्रति व्यक्ति लेनदेन की लागत समेत 28 लाख रुपये का नुकसान सहन किया है।
इस अध्ययन में पता चला है कि सिर्फ 7.2% निजी एफऐंडओ कारोबारियों ने 3 साल में लाभ अर्जित किया है। इनमें से सिर्फ 1% लेनेदेन की लागत निकालने के बाद 1 लाख रुपये से अधिक का लाभ कमाने में सफल रहे हैं। एफऐंडओ डेरिवेटिव इंस्ट्रुमेंट हैं, जिसमें कारोबारी अंतर्निहित परिसंपत्ति (शेयर) एक पूर्वनिर्धारित कीमत पर खरीदता है। एफऐंडओ में सौदे हमेशा से चिंता का सबब रहे हैं, क्योंकि कई खुदरा निवेशकों के खून-पसीने की कमाई इसमें डूब गयी।
इसी वर्ष जुलाई में सेबी ने एक परामर्श पत्र में छोटी अवधि में किये जाने वाले कई उपायों की श्रंखला का प्रस्ताव पेश किया था, जिससे सूचकांक के डेरिवेटिव कारोबार में सट्टेबाजी पर रोक लगायी जा सके। इसमें विभिन्न ऑप्शन कॉट्रैक्ट के निप्टान को सीमित करना, ऑप्शन सौदों का आकार बढ़ाना और एकदिनी पोजीशन सीमा की निगरानी करना शामिल है।
सेबी ने अपने हालिया अध्ययन में कहा कि वित्त वर्ष 2024 में तकरीबन आधे एफऐंडओ कारोबारी (42 लाख ट्रेडर) ‘‘नये कारोबारी’’ (यानी वो ट्रेडर जिन्होंने 3 साल में इक्विटी एफऐंडओ श्रेणी में पहली बार सौदा किया) थे। इन ‘‘नये कारोबारियों’’ में से करीबन 92.1% को औसतन घाटा हुआ है। इन्हें वित्त वर्ष 2024 में 46,000 रुपये प्रति व्यक्ति शुद्ध घाटा हुआ है। लगातार कई वर्षों तक घाटे के बावजूद, घाटे में चल रहे 75% से अधिक व्यापारियों ने एफएंडओ में व्यापार जारी रखा।
अध्ययन से सामने आये तथ्यों के आधार पर, वित्त वर्ष 2024 में प्रोपराइटरी ट्रेडर ने 33,000 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया (यानी लेनदेन की लागत का हिसाब करने से पूर्व कारोबारी लाभ), इनके बाद एफपीआई हैं जिन्होंने लगभग 28,000 करोड़ रुपये का मुनाफा बनाया। इसके विपरीत वैयक्तिक और अन्य को वित्त वर्ष 2024 में 61,000 करोड़ रुपये (लेनदेन की लागत का हिसाब करने से पूर्व) का घाटा हुआ।
अध्ययन में देखा गया है, ‘‘अधिकांश एफपीआई और प्रोपराइटरी कारोबारियों का अधिकांश मुनाफा ‘’एल्गो एंटिटी’’ द्वारा हुआ है। वित्त वर्ष 2024 में एफपीआई के मुनाफे का करीब 97% और प्रोपराइटरी ट्रेडर के लाभ का 96% एल्गो एंटिटी से हुआ है।’’ एल्गो एंटिटी उन संस्थाओं को माना जाता है, जिन्होंने एल्गोरिदम क्रम का इस्तेमाल करते हुए एक साल में कम से कम एक सौदा किया है।
एफऐंडओ में ट्रेड करने वाले युवा कारोबारियों (30 साल से कम उम्र के) का अनुपात वित्त वर्ष 2023 में 31% से बढ़ कर वित्त वर्ष 2024 में 43% हो गया है। इनमें से लगभग 93% युवा कारोबारियों को वित्त वर्ष 2024 में एफऐंडओ में घाटा हुआ है, यह वित्त वर्ष 2024 में घाटा उठाने वाले 91.1% के औसत से अधिक है। वित्त वर्ष 2024 में 75% वैयक्तिक कारोबारियों (65.4 लाख ट्रेडर) ने 5 लाख रुपये से कम सालाना आय घोषित की थी।
इस शोध में देखा गया है कि एफऐंडओ सौदे में हिस्सा लेने वाली महिला कारोबारियों का अनुपात वित्त वर्ष 2022 में 14.9% से घट कर वित्त वर्ष 2024 में 13.7% पर आ गया। पुरुष कारोबारियों के मुकाबले महिला कारोबारियों ने कम अनुपात में नुकसान सहा। जबकि 91.9% पुरुष एफऐंडओ कारोबारियों ने वित्त वर्ष 2024 में घाटा सहन किया, 86.3% महिला व्यापरियों को एफऐंडओ में घाटा हुआ।
(शेयर मंथन, 24 सितंबर 2024)
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