राजीव रंजन झा
यह इंतजार का बाजार है। सबको बाजार सँभलने का इंतजार है। लेकिन बाजार सँभलने से पहले लोगों को एक बड़ी गिरावट का इंतजार है। इंतजार इस बात का भी है कि यह गिरावट तिमाही नतीजों की प्रतिक्रिया में आयेगी, या फिर चुनावी गुणा-भाग से पैदा असमंजस के चलते, या फिर अंतरराष्ट्रीय बाजारों के किसी भूकंप से, या फिर किसी सूनामी की तरह चुपचाप ये गिरावट हमारे सामने आ खड़ी होगी। अभी लोग इंतजार करेंगे कि वास्तव में सरकार की कम-से-कम 7% विकास दर के अनुमान सही साबित होते हैं, या फिर विश्व बैंक या अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) या गोल्डमैन सैक्स वगैरह के अनुमान, जिन्होंने भारत की विकास दर 6% या उससे भी कम रह जाने की बात कह रखी है।