हमें उम्मीद है कि आगामी बजट विकास को बढ़ावा देने वाला बजट (Budget) होगा। चुनाव से पहले वोटबैंक को ध्यान में रखते हुए साल 2018 का बजट कहीं ज्यादा लोक-लुभावन होगा।
अभी नोटबंदी या विमुद्रीकरण (Demonetisation) के चलते जितना असर हुआ है, उसको देखते हुए इस साल का बजट विकास केंद्रित होना चाहिए। लोगों को कुछ राहत दिये जाने की बात जरूर हो रही है। यह राहत प्रत्यक्ष करों (Direct Taxes) से संबंधित हो सकती है। लोगों ने पैसे बैंक में जमा करा दिये हैं और प्रत्यक्ष करों में काफी वृद्धि की संभावना है। उसके अनुपात में ही कुछ राहत दिये जाने की उम्मीद है। इससे कुछ लोकप्रियता भी मिल जायेगी। इसलिए यह देखना होगा कि लोकप्रियता और विकास केंद्रित बजट बनाने के बीच कहाँ संतुलन बनता है।
जहाँ तक शेयर बाजार की बात है, बाजार काफी सकारात्मक बजट की उम्मीद कर रहा है। बजट से पहले अटकलें तो बहुत-सी लगती रहती हैं और यह कहना मुश्किल है कि इन अटकलों को कितना महत्व देना चाहिए। बाजार में निवेश के लिए ईएलएसएस में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर कर छूट का विकल्प पहले से ही मौजूद है। इसलिए मैं नहीं कह सकता कि सरकार इसके ऊपर और क्या करना चाहेगी। मुझे नहीं लगता कि और ज्यादा कुछ करने की जरूरत है।
दीर्घावधि पूँजीगत लाभ (लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स या LTCG) के बारे में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहले ही सफाई दे दी है। इसलिए प्रधानमंत्री ने जो बात कही कि शेयर बाजार के सहभागी करों में कम योगदान करते हैं, उस संबंध में यह एक पहेली ही है कि बाजार के सहभागी किस तरह से ज्यादा योगदान करेंगे। एसटीटी को भी घटाने-बढ़ाने की चर्चा हर बार होती है। आधे लोग कहते हैं कि इसको घटाया जायेगा और आधे लोग कहते हैं कि इसको बढ़ा दिया जायेगा। विनय अग्रवाल, सीईओ, एंजेल ब्रोकिंग (Vinay Agrawal, CEO, Angel Broking)
(शेयर मंथन, 26 जनवरी 2017)
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