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इस साल जोर पकड़ने लगी किफायती घरों की बिक्री, लक्जरी आवास की माँग हो गयी कमजोर

नये साल में भारत के अचल संपत्ति (रियल एस्टेट) बाजार में नया रुझान दिख रहा है। कोविड महामारी के बाद पहली बार देश में ऐसा हुआ है, जब किफायती घरों की माँग तेज हो रही है और आलीशान मकानों की माँग नरम हो रही है। संपत्ति सलाहकार एनारॉक की एक ताजा रिपोर्ट में इस बदले रुझान के बारे में पता चला है।

इस तरह कम हुई किफायती मकानों की संख्या

एनारॉक के अनुसार, देश के शीर्ष सात शहरों में बिना बिके किफायती मकानों की संख्या 2025 की पहली तिमाही में 19% कम हो गयी। देश के सात शीर्ष शहरों में 2024 की पहली तिमाही में बिना बिके किफायती मकानों की संख्या लगभग 1.40 लाख इकाई थी। इस साल जनवरी-मार्च तिमाही के अंत में यह संख्या घटकर 1.13 लाख मकानों पर आ गयी। इस प्रकार, पिछले एक वर्ष में खाली पड़े किफायती मकानों की संख्या में 27,161 इकाई (19%) की कमी आयी। पिछले एक वर्ष में नये किफायती मकानों की आपूर्ति सीमित रही है। किफायती मकान श्रेणी में वे मकान आते हैं, जिनकी कीमत 40 लाख रुपये से कम है।

शीर्ष सात शहरों में बिना बिके किफायती मकानों की बिक्री में बेंगलुरु सबसे आगे रहा है। बेंगलुरु में बिना बिके किफायती मकानों की संख्या 2024 की पहली तिमाही में 6,736 इकाई पर थी, जो घटकर 2025 की पहली तिमाही में 3,323 मकानों पर आ गयी। इसके बाद चेन्नई में सबसे अधिक खाली पड़े किफायती मकान बिके हैं। 2025 की पहली तिमाही के अंत में इनकी संख्या 1,090 इकाई रह गयी, जो 2024 की पहली तिमाही में 1,946 मकानों की तुलना में 44% कम है। इसी प्रकार, पुणे में बिना बिके किफायती मकानों की संख्या में 28%, दिल्ली-एनसीआर में 22%, कोलकाता में 20%, मुंबई महानगर क्षेत्र में 11% और हैदराबाद में 9% की कमी आयी है।

इतनी बढ़ गई आलीशान घरों की संख्या

आलीशान घरों की श्रेणी में बिना बिके मकानों की संख्या में एक वर्ष में 25% की वृद्धि हुई है। 2024 की पहली तिमाही के अंत में बिना बिके आलीशान मकानों की संख्या 91,125 इकाई थी। 2025 की पहली तिमाही के अंत में 1,13,000 आलीशान मकान बिना बिके रहे हैं। आलीशान मकान श्रेणी में डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाले मकान आते हैं। मजबूत माँग और आपूर्ति में तेजी के कारण बिना बिके मकानों के भंडार में वृद्धि हुई है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बीच निवेशकों का सतर्क रवैया अपनाना भी इसका एक कारण है। इस दौरान, 40 से 80 लाख रुपये की कीमत वाले बिना बिके मकानों की संख्या में 10% की कमी दर्ज की गयी। इनकी संख्या साल भर पहले के 1,74,572 इकाई से कम होकर 1,57,741 इकई पर आ गयी है।

एनारॉक समूह के अध्यक्ष अनुज पुरी का कहना है, ‘‘महामारी के बाद किफायती मकानों को सबसे गहरा आघात पहुँचा था। 2019 में कुल बिक्री में किफायती मकानों की हिस्सेदारी 38% थी, जो 2024 में घटकर 18% रह गयी। इसी प्रकार, नये किफायती मकानों की आपूर्ति भी 40% से घटकर 16% पर आ गयी। फिर भी, बिना बिके मकानों के स्टॉक में आयी इस कमी से संकेत मिलता है कि किफायती मकान खरीदने वालों की माँग तेज हुई है।’’

(शेयर मंथन, 15 अप्रैल 2025)

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