हल्दी वायदा (मई) की कीमतों के 6,350-6,500 रुपये के दायरे में सीमित दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
वर्ततान समय में नयी फसल की आवक के साथ बाजारों में खरीदार सक्रिय हैं। आंध्र प्रदेश के डुग्गीराला में नयी फसल की आवक शुरू हो गयी है। लेकिन किसानों को लाभकारी मूल्य नहीं मिलने के कारण आवक काफी कम हो रही है।
जीरा वायदा (मई) की कीमतों में 17,000-17,100 रुपये के नजदीक बाधा के साथ बिकवाली हो सकती है और कीमतों में 16,700-16,600 रुपये तक गिरावट हो सकती है। डॉलर के मुकाबले रुपये के मजबूत होने से निर्यात माँग के बाधित होने और मुनाफा वसूली के कारण कीमतों पर दबाव रह सकता है। इलायची वायदा की कीमतें अब तक के उच्च स्तर 2,120.60 पर पहुँच गयी हैं और मजबूती का यह रुझान 2,250-2,300 रुपये तक जारी रह सकता है। इस वर्ष उत्पादन कम होने और 2019-20 में भी उत्पादन में कमी के कारण कीमतों को मदद मिल रही है। पिछले कुछ महीने से प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में लगातार सूखे मौसम के कारण मौजूदा सीजन के 15,000 टन की तुलना में 2019-20 में 10,000-12,000 टन उत्पादन होने का अनुमान है जो 2017-18 के 20,000 टन की तुलना में 25% कम है।
मसाला बोर्ड के नीलामी केन्द्र पुट्टादी में इलायची की प्रीमियम वेराइटी की कीमतें अब तक के उच्च स्तर 3,000 रुपये प्रति किलो ग्राम पर पहुँच गयी हैं। नयी फसल के बाजारों में जून-जुलाई तक आने की संभावना है।
वहीं हाजिर बाजारों में मजबूत सेंटीमेंट के कारण धनिया वायदा (मई) की कीमतों में तेजी के रुझान पर पिछले चार हफ्ते से रोक लग रही है और कीमतों को 7,175 रुपये के स्तर पर बाधा का सामना करना पड़ रहा है। धनिया को 7,000 रुपये के स्तर पर सहारा रहता है। आगामी दिनों में भी घरेलू और निर्यात माँग के काफी कम होने के कारण धनिया की कीमतों के इसी दायरे में सीमित दायरे में रहने की संभावना है। (शेयर मंथन, 07 मई 2019)
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