सोयाबीन वायदा (नवम्बर) की कीमतों में तेजी का रुझान दिख रहा है और कीमतों में अभी भी 4,150-4,200 रुपये तक बढ़त दर्ज किये जाने की संभावना है।
घरेलू के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी इस तिलहन की माँग और आपूर्ति के बीच अंतर बढ़ गया है। मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में किसानों ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया कि उन्होंने सोयाबीन की 90% फसल खो दी है। दूसरी ओर भारतीय सोयामील डीओसी और अर्जेंटीना सोयामील डीओसी की कीमतों का अंतर 9 अक्टूबर तक 25 डॉलर था। इसने भारतीय डीओसी के लिए अधिक निर्यात माँग संभव हुई है और इस कारण स्थानीय बाजार में सोयाबीन की माँग बढ़ी है। चीन और मैक्सिको को अधिक बिक्री के कारण सीबीओटी पर अमेरिकी सोयाबीन की कीमतें अपने ढ़ाई वर्षों से अधिक के उच्चतम स्तर के पास कारोबार रही है। ब्राजील में शुष्क मौसम के कारण सोयाबीन रोपण में देरी को लेकर चिंताओं के बीच बिक्री बढ़ी है।
इसके विपरीत, सरसों वायदा (नवम्बर) की कीमतों में नरमी की संभावना है और कीमतों में 5,430-5,400 रुपये तक गिरावट हो सकती है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत के 2020-21 में उत्पादन क्षेत्रा में तेज वृद्धि के कारण रिकॉर्ड 10 मिलियन टन सरसों का उत्पादन होने की संभावना है। 2020-21 (जुलाई-जून) रबी की बुआई के लिए सरकार के पास अच्छी गुणवत्ता वाले सरसों के पर्याप्त बीज हैं। इसमें 25,100 टन की आवश्यकता के मुकाबले प्रमाणित बीजों का कुल भंडार 26,700 टन है।
सोया तेल वायदा (नवम्बर) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ कारोबार करने और 940-945 रुपये के स्तर पर पहुँचने की उम्मीद है, जबकि सीपीओ वायदा (अक्टूबर) की कीमतें 795-800 रुपये तक बढ़त दर्ज कर सकती हैं। मलेशिया में पॉम के बागानों को नुकसान और सीबीओटी पर सोया तेल की कीमतों के कई हफ्ते के उच्च स्तर पर पहुँचने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में मौजूद तेजी से घरेलू खाद्य तेल की कीमतों को मदद मिलती रह सकती है। (शेयर मंथन, 12 अक्टूबर 2020)
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