कॉटन वायदा (अप्रैल) की कीमतें 22,050-23,000 के दायरे में कारोबार कर सकती है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्थिर कीमतें और उच्च घरेलू निर्यात की अधिक संभावना से काउंटर को मदद मिल रहा हैं। आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतों में बढ़त देखी जा रही है। लेकिन हाल ही में हुई बारिश के कारण टेक्सास के सूखे क्षेत्र से कपास की फसल को थोड़ी राहत मिल सकती है। दूसरी बात यह है कि चालू सीजन (अक्टूबर 2020-सितंबर 2021) में लागत प्रतिस्पर्ध के आधार पर भारत का कपास का निर्यात 60 लाख बेल (प्रत्येक 170 किलोग्राम) होने की संभावना है। ट्रेंड बॉडी कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार सीजन शुरू होने के बाद से अब तक लगभग 60 फीसदी या 36 लाख बेल की आवक हुई हैं।
ग्वारसीड (अप्रैल) की कीमतों को 3,930 रुपये के स्तर पर रुकावट रह सकता है जबकि ग्वारगम (अप्रैल) वायदा की कीमतों को 61,70 रुपये पर बाधा रहने की उम्मीद है। मिलों की ओर से ग्वारसीड की कम खरीदारी के कारण जोधपुर में कीमतें 20 रुपये कम होकर 3,830-3,880 रुपये प्रति क्विंटल रह गयी है जबकि ग्वारगम की कीमतें भी 20 रुपये कम होकर 6,080 रुपये प्रति क्विंटल हो गयी। मंडियों की नीलामी के कारोबार में ग्वारसीड की कीमतें गिर गयी। आदमपुर मंडियों में ग्वारसीड की कीमतें 49 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट के साथ 35,00-3,671 रुपये प्रति क्विंटल हो गयी। अन्य मंडियों में 25 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट हुई है।
चना वायदा (अप्रैल) की कीमतों के 5,120-5,170 रुपये के दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है। त्योहारी सीजन से पहले, स्टॉकिस्टों की काफी तादात गुजरात की विभिन्न मंडियों से चना जमा करने के लिए मंडियों में प्रवेश कर गयी है। थोक खरीदार पहले से ही महाराष्ट्र में सक्रिय हैं और बड़ी मात्रा में मंडियों में खरीदारी कर रहे हैं जबकि आवक कम है। वर्तमान में, इंदौर में बेंचमार्क बाजार में कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,100 रुपये के पास हैं। खबरों के अनुसार नॉफेड ने 2019-20 (जुलाई-जून) रबी सीजन में उत्पादित चना पर जनवरी में दी गयी 5-10% छूट को वापस ले लिया है। (शेयर मंथन, 17 मार्च 2021)
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