
प्रौद्यागिकी कंपनी 63 मून्स टेक्नोलॉजीज ने नेशनल स्पॉट एक्सचेंज या एनएसईएल (NSEL) के निवेशकों के साथ 1,950 करोड़ रुपये के एकमुश्त भुगतान का समझौता किया है।
यह 2013 के भुगतान संकट को हल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस समझौते से हजारों निवेशकों को राहत मिलने और एक दशक से भी ज्यादा पुराने भुगतान संकट का हल निकलने की की उम्मीद है। 63 मून्स ने एनएसईएल के निवेशकों के साथ 1,950 करोड़ रुपये के एकमुश्त समझौते को मंजूरी दे दी है। 63 मून्स ही एनएसईएल की प्रमोटर कंपनी है, हालाँकि अभी यह एक्सचेंज निष्क्रिय पड़ा है। एनएसईएल के 2013 के भुगतान संकट ने करीब 13,000 निवेशकों को प्रभावित किया था, जिनके कुल 5,600 करोड़ रुपये के दावे लंबित थे।
यह भुगतान संकट खड़ा होने के समय 63 मून्स का नाम फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज इंडिया (FTIL) होता था, जो उस समय वित्तीय क्षेत्र एक बड़ी पहचान रखती थी। पर इस संकट ने कंपनी पर ग्रहण लगा दिया और उसका कारोबार काफी बुरी तरह प्रभावित हुआ। एफटीआईएल के प्रमोटर जिग्नेश शाह उस समय वित्तीय जगत का एक बड़ा चेहरा माने जाते थे, पर इस संकट के उभरने के बाद उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।
निवेशकों को मिलेगा 42% भुगतान
एनएसईएल निवेशक मंच (एनआईएफ) ने इस समझौते को अंतिम रूप देने में अहम भूमिका निभायी है। समझौते के तहत, 63 मून्स निवेशकों को 1,950 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी, जो उनके बकाया दावों का लगभग 42% हिस्सा है। इसके बदले में, निवेशक अपने दावों को 63 मून्स के पक्ष में हस्तांतरित करेंगे, जिससे कंपनी डिफॉल्टरों से वसूली की प्रक्रिया आगे बढ़ा सकेगी। एनआईएफ के अनुसार, 64.5% से अधिक निवेशकों ने इस समझौते के पक्ष में मतदान किया।
63 मून्स ने इस समझौते को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), मुंबई में दाखिल किया है। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक एस्क्रो एजेंट और निगरानी प्राधिकरण नियुक्त किया जायेगा, जो निवेशकों को धन वितरण की प्रक्रिया की देख-रेख करेगा।
एनआईएफ के अध्यक्ष शरद सराफ का कहना है कि यह समझौता लंबे समय से चली आ रही कानूनी लड़ाई और अनिश्चितता के बाद एक ठोस और निष्पक्ष समाधान प्रदान कर रहा है। वहीं 63 मून्स ने कहा है कि यह समझौता कंपनी को डिफॉल्टरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने और संपत्तियों की नीलामी के माध्यम से वसूली करने में मदद करेगा।
क्या है एनएसईएल का भुगतान संकट?
एनएसईएल ने 2013 में अचानक अपने सभी स्पॉट अनुबंधों (कॉन्ट्रैक्ट) में कारोबार बंद कर दिया था, जिसके बाद इस एक्सचेंज के 24 सहभागी डिफॉल्टर हो गये, यानी उन्होंने अपना बकाया भुगतान नहीं किया था। इस घटना ने हजारों निवेशकों को संकट में डाल दिया था। पिछले 11 वर्षों में 7,000 से अधिक छोटे निवेशकों को 179 करोड़ रुपये की राहत दी गयी थी, जिनके दावे 10 लाख रुपये तक थे। लेकिन बड़े निवेशकों को अपने फँसे हुए पैसों में से केवल 7% की ही वसूली हो पायी थी। इस समझौते से अब शेष निवेशकों को भी राहत मिलने की उम्मीद है।
63 मून्स के शेयरों में लगा ऊपरी सर्किट
इस समझौते का असर 63 मून्स के शेयरों पर भी दिखा है, क्योंकि कंपनी इस समझौते के बाद कानूनी विवाद से बाहर निकल आयेगी। शुक्रवार को समझौते की खबर सामने आने के बाद इसके शेयरों में 5% की ऊपरी सर्किट लग गया। हालाँकि बाद में तेजी कुछ कम हुई और कारोबार की समाप्ति पर इसका शेयर 4.47% की तेजी के साथ 757 रुपये पर रहा। (शेयर मंथन, 8 मार्च 2025)
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